ज़ैग़म मुर्तज़ा क़रीब दो दशक पहले गांव जाना हमारे लिए अंतर्राष्ट्रीय पिकनिक से कम न था। हफ्ता भर पहले तैयारियां
Author: badalav
महंगाई का रावण हंस रहा है… हा हा हा
हां, बह रही है विकास की गंगा दालों में डबल सेंचुरी के साथ प्याज में मुनाफाखोरी के साथ सब्जियों में
रमन राज में नक्सलियों से आखिरी लड़ाई
दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने हाल ही में नई दिल्ली में ये कहा था कि राज्य
धत तेरे कि… थार में न भात, जुबान पे छै जात !
पुष्यमित्र सरकारी आंकड़ों में बिहार में दस में से आठ बच्चे कुपोषित हैं। 26 फीसदी बच्चे अति कुपोषित हैं। 80
ये प्रतिरोध की संस्कृति को सलाम करने का वक़्त है
प्रियदर्शन एक खूंखार, लथपथ समय में गलत के विरोध की हर पहल स्वागत योग्य है। जो इस पर सवाल उठाते हैं
लेखकों का ‘आपातकाल’ और ‘फासीवाद’ बस हौव्वा है ?
संजय द्विवेदी देश में बढ़ती तथाकथित सांप्रदायिकता से संतप्त बुद्धिजीवियों और लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला वास्तव
क़लम से ही क़ातिलों के सर क़लम करें लेखक
कुमार सर्वेश तेंदुआ गुर्राता है, तुम मशाल जलाओ। क्योंकि तेंदुआ गुर्रा सकता है, मशाल नहीं जला सकता। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
गाय ‘माता’ के नाम पर बंद करो लड़ाई
कुमार सर्वेश गाय इस धरती पर सबसे प्यारा और पवित्र पशु है। भारतीय समाज में गाय को परिवार का एक
विदेशी धरती पर मजहबी मोहब्बत का संगम
भव्य श्रीवास्तव एक लौ जल गई। अमेरिका के साल्टलेक सिटी में पार्लियामेंट ऑफ रिलीजंस की शुरुआत इसी तरह हुई। कन्वेंशन
बंज़र ज़मीन पर लहलहाएंगी उम्मीदें… चलते रहो साथी
योगेंद्र यादव के फेसबुक वॉल से सूखा महाराष्ट्र और यूपी ही नहीं बल्कि राजस्थान की धरती का सीना भी चीर