Author: badalav
बिना बिजली के चुनावी ‘करंट’ दौड़ रहा है!
अरविंद पांडेय बाहर लालटेन जल रही है…जो छज्जे पर लगे हुक के सहारे टांग दी गई है। रोशनी इतनी ही
मुठभेड़ के नाम पर बंद हो सरकारी हिंसा
दिवाकर मुक्तिबोध आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नौकरी में लेने की पेशकश क्या राज्य में हिंसात्मक नक्सलवाद के ताबूत
‘वीरों की धरती’… लहूलुहान और वीरान क्यों ?
आशीष सागर दीक्षित उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विभाजित बुंदेलखंड का इलाका पिछले कई सालों से प्राकृतिक आपदाओं का दंश
ज़िंदगी इतने बड़े इम्तिहान क्यों लेती है ?
कीर्ति दीक्षित कई दिनों से फेसबुक पर उसकी पीहू और उसे देख रही हूं। एक बार नहीं दर्जनों बार। अखबारों
इन हसीन वादियों में आधा आसमां मेरा भी है
शाहनवाज़ खान कश्मीर की वादियों में अब बेटियों का दम नहीं घुटेगा। घाटी की लाडलियों को खुली हवा में सांस
चलो ‘गुइयां’, अपन भी अखबार निकालें
सचिन श्रीवास्तव मध्य प्रदेश विज्ञान सभा के पातालकोट स्थित गैलडुब्बा गांव में दीवार अखबार ‘‘गुइयां’’ के विमोचन का साझीदार बनना
मां से मिला देती है ‘मइया’
अनीश कुमार सिंह केरवा के पात पर उगेलन सूरूज मल झांके-झुंके… ये गाना घर-घर में बज रहा था लेकिन घर
लोक में बसी बराबरी की चेतना का महापर्व है छठ
रूपेश कुमार आज महापर्व छठ है। एक साल के इंतज़ार के बाद छठ का पर्व आया है। दिल्ली सहित पूरे
जी हुजूर! रिश्वत जान ले रही है, आप तो तमाशा देखिए
दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के सवाल पर राज्य सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति है। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह