बाराह छत्तर मेला, पूर्णिमा बीत गैले… ‘अंधियारा’ छंटलै कि

रूपेश कुमार

varah mela-1नेपाल के वराह क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले मेले में कोसी क्षेत्र के हजारो लोग पहुंचते हैं। कोसी इलाके के दुकानदारों की वजह से भी उस मेले में रौनक होती है। मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर से हर साल ढाई-तीन सौ दुकानदार वराह क्षेत्र में मेला लगाया करते हैं  लेकिन इस बार सांस्कृतिक एका को भंग करते हुए ‘सीमा’ उगा दी गयी है। लोग परेशान हैं। वे रोज इस ‘सीमा’ तक पहुंचते हैं और उस पार बारूद की गंध सूंघ कर लौट आया करते हैं। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट।

इन दिनों जब बहनें सामा चकेवा खेलने में व्यस्त हैं, सिंहेश्वर में एक अजीब सी उदासी पसरी है। शाम होते ही मंदिर के आसपास लोग समूह में जमा होने लगते हैं। चिंताओं और चर्चाओं का दौर देर रात तक चल रहा है़। ताजा खबर यह आयी है कि सुबह चार बजे ही दो मधेशी नेपाली आर्मी की गोली से मारे गये हैं। यह सुनते ही लोगों के पीठ में सिहरन सी होने लगी है। ‘ तो इस बार बड़ा छत्तर ‘वराह क्षेत्र’ मेला नय होगा ? इस सवाल पर स्थानीय दुकानदार घबरा उठते हैं। ‘ बाप रे़! अब तक के जीवन में ऐसा कभी नहीं हुआ कि बड़ा छत्तर नहीं गये हों। राजकुमार गुप्ता उत्तेजित होने लगे हैं। कन्हैया तो कल ही लौट कर आया है नेपाल से़  उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं।

madheshi-agitationथोड़ी ही देर में कन्हैया आ पहुंचा है। वह कहता है़-हम त कहते हैं कि अभी बड़ा छत्तर सोचिये भी मत़ !  कर्फ्यू लगा है़  जरा सा हो हंगामा होने पर तुरंत गोली चलने लगती है!  कन्हैया भैया दूज में अपनी बहन के घर गया था़  वह नेपाल के कंचनपुर में रहती है। कन्हैया ने बताया कि नेपाल में छठ के बाद मधेशी भी जोर-शोर से आंदोलन के मूड में है। उसने तो अपनी बहन और बहनोई पर बिहार आने के लिए काफी जोर दिया़ लेकिन बहनोई ने कहा कि एक दिन भी घर खाली छोड़ेंगे तो घर पर कब्जा हो जायेगा़। ये रिस्क कौन ले! सिंहेश्वर से कितनी ही बेटियां नेपाल में ब्याही हैं।

सब मौन धर कर कन्हैया की बात सुन रहे है।  कन्हैया आगे कहता है़। जब वह भीमनगर बोर्डर पर पहुंचा तो एक भी गाड़ी नहीं। दोनों तरफ आर्मी तैनात़। बांध वाले रास्ते से रिक्शा कर बैरेज पहुंचा़। यहीं से राजबिराज की बस मिली, तब वह कंचनपुर पहुंच सका़। लेकिन हालात इतने खराब हो गये कि फिर भीमनगर हो कर नहीं लौट सका़। उसे मधुबनी जिले के जयनगर के रास्ते फूलपरास हो कर लौटना पड़ा। बड़ा छत्तर का मेला सब साथ मिल कर क्यों नहीं चल सकते हैं? राजवीर साह की इस बात पर सब एक बार फिर चिंता में डूब गये़।

नेपाल स्थित वराह क्षेत्र को ही कोसी क्षेत्र के लोग बड़ा छत्तर कहते हैं। कोसी नदी की कल-कल करती धारा के किनारे कार्तिक की पूर्णिमा पर भव्य मेला लगता है़। धारणा है कि भगवान विष्णु ने वराह रूप ले कर पृथ्वी को पाताल से लेकर यहीं निकले थे़। यहां नदी के किनारे ही मंदिर भी बना है, जिसमें भगवान विष्णु वराह रूप में विराजमान हैं। भीमनगर बॉर्डर के बाद महेंद्र राजमार्ग पर इटहरी की ओर करीब 20 किलोमीटर के बाद ही आता है झुनकी चौक। यहां से चतरा के लिए नहर के किनारे सड़क बनी है़। छह किलोमीटर बाद चतरा से ही कोसी नदी के साथ-साथ पहाड़ की चढ़ाई शुरू हो जाती है़। चार किलोमीटर तक करीब छह फीट संकरे पथरीले रास्ते से पैदल ही वराह क्षेत्र तक पहुंचा जा सकता है।

singheswar madhepuraइस मेले में केवल सिंहेश्वर से ही ढाई सौ छोटे-बड़े दुकानदार व्यापार के लिए पहुंचते रहे हैं।  इस मेले के बारे में लोग दावा करते हैं कि आप वर्षों से जिन रिश्तेदारों से नहीं मिले हों, वराह क्षेत्र के मेले में उनसे भेंट हो जायेगी़। पूर्णिमा के दिन सिंहेश्वर के आधे लोग सामा चकेवा मनाते हैं तो आधे वराह क्षेत्र में होते हैं। यहां के कई लोगों ने वराह क्षेत्र में धर्मशाला तक बनवायी है़। धर्माश्रम समिति धर्मशाला में सिंहेश्वर के गौरी शंकर भगत आजीवन सदस्य हैं। यहां वह हर साल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक ठहरते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार तो हालात ठीक नहीं हैं। रोज गोली चल रही है। आंदोलनकारी रोज मारे जा रहे हैं।

madheshi-agitation1नेपाल में स्थिति खराब होने के बाद विगत कई दिनों से यहां के लोग चिंता में हैं कि इस बार वराह क्षेत्र मेले में वे कैसे पहुंचें ? इधर बैठक में राजवीर साह के बेटे अनिल ने घोषणा कर दी है कि वह कैसे भी वराह क्षेत्र मेला जरूर जायेगा़, इस पर उसके पिता चिंतित हो उठे हैं। नहीं छोड़ो न,  सिंहेश्वर मेला में ही हमलोग कमा लेंगे़ ! लेकिन आवाज़ में अस्थिरता है़। आज ही यहां के चार युवा भीमनगर बॉर्डर का जायजा लेकर लौटे हैं। उन्होंने साफ मना कर दिया है कि वहां जाना खतरे से खाली नहीं। पंकज और अनुराग ने कहा कि सुपौल के सिमराही बाजार में भी दुकानदार बता रहे थे कि इस वक्त वराह क्षेत्र जाने वालों की यहां काफी भीड़ जुटती थी लेकिन इस बार तो स्थिति खराब है।

गहराती रात के साथ कोहरा घना होने लगा है़। सर्दी के कारण सभा बिखरने लगी है। लोग अपनी-अपनी चिंताओं और दुख के साथ कंबल में दुबक चुके हैं।

खबर है कि सोमवार की दोपहर अनिल साह घर के विरोध के बाद भी जोगबनी बॉर्डर के रास्ते बिराटनगर होते हुए वराह क्षेत्र मेला के लिए निकल पड़ा है। भारत और नेपाल के बीच उग आयी इस ‘सीमा’ को कौन मानेगा भला !


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मधेपुरा के सिंहेश्वर के निवासी रुपेश कुमार की रिपोर्टिंग का गांवों से गहरा ताल्लुक रहा है। माखनलाल चतुर्वेदी से पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद शुरुआती दौर में दिल्ली-मेरठ तक की दौड़ को विराम अपने गांव आकर मिला। उनसे आप 9631818888 पर संपर्क कर सकते हैं।


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