धीरेंद्र पुंडीर सुलखान सिंह नए डीजीपी। लगता नहीं था कि कोई इतने ईमानदार अफसर को कभी कमान देगा। लखनऊ में
Author: badalav
रंगमंच की दुनिया में ग्वालियर शहर की धमक
संगम पांडेय ग्वालियर के नाट्य मंदिर प्रेक्षागृह में जाने से लगता है मानो आप वक्त के किसी लंबे वक्फे का
मजहब नहीं सिखाता, ‘गांधीवाद’ से बैर रखना!
ब्रह्मानंद ठाकुर बिहार के मुजफ्फरपुर का मझौलिया गांव कभी हथकरघा उद्योग के लिए जाना जाता था। आज यहां काफी कुछ बदल
बहिनी, गंगाजी के किनारे कईसन लगेला?
पुष्पांजलि शर्मा शहरों में सियासत के स्वर भले ही इस दंभ में चूर हों कि हमारा गांव बदल रहा है,
देश अब और शहादत के लिए तैयार नहीं!
धीरेंद्र पुंडीर इतिहास एक जिंदा चीज है जो देश इसका अहसास नहीं करते उन्हें ये मुर्दा कर देता है। निर्णय
गणतंत्र, तुझसे कुछ शिकवे हैं!
मार्कण्डेय प्रवासी गणतंत्र भूख की दवा ढूंढ कर लाओ बीमार देश है , धन्वन्तर कहलाओ। रह रहे शारदा के बेटे
कश्मीर- किसके लिए कर्फ़्यू, तलाशियां, कष्ट और बलिदान
धीरेंद्र पुंडीर वो जवान किसके लिए वहां है। वो किस देश के वासी थे जो बहु-बेटियों की इज्जत और अपनी
गांधीवाद ही है आखिरी विकल्प- सच्चिदानंद सिन्हा
ब्रह्मानंद ठाकुर पूरी दुनिया आज बाजार बन गयी है। पूंजीवाद ने पूरी दुनिया को बारूद की ढेर पर लाकर खड़ा
छत्तीसगढ़ – सरकारी मयखाने तो खुलेंगे, पर मत पीना दो जाम
शिरीष खरे बिहार में शराबबंदी के बाद देश के दूसरे राज्यों में शराबबंदी की मांग जोर पकड़ती जा रही है
ढूंढिए… आपके आस-पास ही हैं ‘कबीर के लोग’
पुष्य मित्र बोरिंग कैनाल रोड पर अक्सर एक गाड़ी दिखती थी, जिसके पीछे लिखा होता था- कबीर के लोग। मैं