अंकुरण

अंकुरण

अंकुरण..

कही भी हो
नव-जीवन का एहसास दे जाती है!
बीजों में हो तो
नव जीवन को अंगीकृत करती है।
करती है प्रदर्शित,
बंद सरहदों को भेद कर
प्रस्फुटित होते सृजन के सौंदय को।
मानों हर एक बीज ने प्रदर्शित किया हो;
आशा का संदेश मानव जाति के हित में,
सुर में सुर मिला इठलाए हो खेत में।।

अंकुरण..
विचारों में हो तो
क्रांति का आगाज करती है।
बज उठते हैं नगाड़े,
कुछ कर गुजरने के सुर ताल से।
जंग लगी हुई प्रज्ञा जैसे चमक जाती है,
क्षितिज खोज निकालने के जुनून से।
विगुल परिवर्तन का हर ओर
फिर प्रस्फुटित कर देती है
नव-उन्माद.. आशा संग आकांक्षा।।

अंकुरण..
को होने दो अंकुरित
सींचते रहो नमी से; भावनाओ की,
दिखाते रहो रोशनी; गुणवत्ता की,
डालते रहो खाद; आदमियत की,
जड़े कर लेंगी वो बखूबी मजबूत
खड़े हो उठ पड़ेंगे सबके जीवन।
अंकुरण..भावनाओं में, विचारों में, सृष्टि में, काल और वातावरण में,
नवीन सृजन, उन्माद, और परिर्वतन की कसौटी ही तो है..अंकुरण!!

श्रीमती अलकनन्दा मिश्रा केनरा बैंक की प्रबंधक, संप्रति
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग, नई दिल्ली में कार्यरत।