बिहार में हर तरफ बाढ़ से त्राहिमाम त्राहिमाम हो रहा है । सैलाब के आगे जिंदगी बेबस और लाचार हो गई है, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो बाढ़ से घिरे लोगों के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं । हम बात कर रहे हैं मुजफ्फरपुर के बंदरा प्रखंड के जरंगी गांव की । जहां एक शिक्षक ने अपने घर को बाढ़ राहत केंद्र के रूप में तब्दील कर दिया है । हर रोज करीब 400 से 500 लोगों को सुबह-शाम दोनों वक्त खाना खिलाया जा रहा है । बिना किसी सरकारी मदद के शिक्षक राजकिशोर चौधरी अपने खर्चे पर बाढ़ पीड़ितों के लिए अन्नपूर्णा का काम कर रहे हैं । सुबह से लेकर शाम तक राजकिशोर के घर तांता लगा रहता है । बाढ़ पीड़ितों की संख्या ज्यादा रहती है लिहाजा पास से प्राइमरी स्कूल में रसोई चलाई जा रही है । खाने बनाने से लेकर खिलाते में राजकिशोर का पूरा परिवार जुटा रहता है । राजकिशोर बताते हैं कि एक दिन बाढ़ पीड़ितों की हालत देख उनके मानद पोते शिबू और चंद्र ने बाढ़ पीड़ितों को खाना खिलाने का प्रस्ताव रखा जिसे वो सहर्ष स्वीकर करते हुए तत्काल इस काम में जुटे गए ।
पिछले 6 दिन से लगातार सुबह-शाम बाढ़ पीड़ितों को खाना खिलाया जा रहा है । बाढ़ की इस संकट घड़ी में राजकिशोर जैसी जिंदादिली हर किसी को दिखाने की जरूरत है, जिससे जो बन पड़े अपने-आसपास मुश्किल में फंसे लोगों की मदद करें तो मुश्किल थोड़ी कम जरूर हो जाएगी । यही नहीं बाढ़ पीड़ितों का दर्द इतना बड़ा है जिसे शायद ही कोई महसूस कर सके, फिर भी राजकिशोर ऐसे लोगों का पेटभरकर उनका दर्द थोड़ा कम जरूर कर रहे हैं। यही नहीं इस आपदा के बारे में लगातार लोग ना सोचते रहें इसके लिए भजन-कीर्तिन भी चलता रहता है । दुख को सुमुख बनाओ, गाओ काली घटा छंटेगी कैसे रिमझिम रिमझिम स्वर बरसाओ जैसे गीतों का स्वर गूंजता रहता है ।
वैसे बिहार में इस बार बाढ़ के बाद पीड़ितों की मदद के लिए तमाम युवा खुद आगे आ हैं । ये युवा साथी अलग-अलग जिलों में बाढ़ पीड़ितों की हर संभव मदद कर रहे हैं, पानी से निकालने से लेकर उनके रहने, खाने-पानी, इलाज की सभी सुविधाएं मुहैया कराने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं । इसके लिए कुछ सामाजिक संगठनों की भी मदद ली जा रही है।
मुजफ्फरफुर में बाढ़ पीड़ितों को राहत-सामग्री बांटते सामाजक संगठन की युवा टीम। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी की की जा रही है मदद ।
मुजफ्फरपुर में बाढ़ के पानी के बीच गुजरकर पीड़ितों की मदद करते युवा साथी । अभी इन इलाकों में सरकारी मदद नहीं पहुंची है।
शनिवार को दरभंगा के हनुमान नगर ब्लाक के सरहमिद पंचायत और हायाघाट के आसपास में राहत सामग्री का वितरण किया गया।
बाढ़ के दौरान बीमारी भी तेजी से फैल रही है । युवा साथी बीमार लोगों के लिए दवा का वितरण कर रहे हैं । स्थानीय लोगों से बातचीत में पता चला की अभी तक पूरे हनुमान नगर में ना तो एक भी सामुदायिक भोजनालय का व्यवस्था किया गया है और ना ही कोई भी सरकारी सहायता मिली है।
पहाड़िया, अमौर, पुर्णिया में बाढ़ पीड़ितों को बिस्कीट, मोमबत्ती, माचिस, कपड़े और ORS बाँटते युवा साथी।
युवा साथियों की टीम पूरे बिहार में सक्रिय है । अलग से कंट्रोल रूम बनाया गया है जिसमें अलग-अलग इलाकों से बाढ़ पीड़ितों की सूचनाएं आती रहती हैं और जल्द से जल्द वहां मदद पहुंचाने की कोशिश युवा साथी करते हैं । ऐसे युवा साथियों की टीम बदलाव सलाम करती है ।
ब्रह्मानंद ठाकुर। BADALAV.COM के अप्रैल 2017 के अतिथि संपादक। बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के निवासी। पेशे से शिक्षक। मई 2012 के बाद से नौकरी की बंदिशें खत्म। फिलहाल समाज, संस्कृति और साहित्य की सेवा में जुटे हैं। गांव में बदलाव को लेकर गहरी दिलचस्पी रखते हैं और युवा पीढ़ी के साथ निरंतर संवाद की जरूरत को महसूस करते हैं, उसकी संभावनाएं तलाशते हैं।