रिद्धी भेदा
मैं मिड्ल स्कूल की छात्रा हूं और इन दिनों सांटा क्लारा में रहती हूं, जिसे सिलिकन वैली के नाम से भी जाना जाता है। मैं पिछले साल दिसंबर की छुट्टियों में अमेरिका से भारत गई। मुझे वहां कई चीजें काफी अलग, रोमांचक और चुनौतीपूर्ण लगीं। कुल मिलाकर कहूं तो भारत की ये यात्रा और भारतीय संस्कृति से रूबरू होने का ये मौका मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव रहा। अगर मैं कभी लंबे वक़्त के लिए हिंदुस्तान में रहने का फ़ैसला करती हूं, तो इस यात्रा के अनुभव ने मुझे कुछ बेहद जरूरी सबक दे दिए हैं।
इस ट्रिप के दौरान, मुख्य तौर पर मुंबई और राजस्थान के कुछ शहरों में मेरा जाना हुआ। हमलोग मुंबई एयरपोर्ट पर उतरे। एयरपोर्ट काफी साफ-सुथरा और व्यवस्थित नज़र आया, लेकिन जैसे ही हम सड़कों पर निकले, सब कुछ अस्त-व्यस्त दिखा। सड़कों पर कचरा फैला था, काफी भीड़-भाड़ थी और ट्रैफिक तो मेरी कल्पना से परे था। अमेरिका जैसे देश में रहते हुए, हम ये कल्पना करने लगते हैं कि दुनिया में हर जगह आम लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं और सिस्टम एक जैसा ही होगा। हमें ये एहसास ही नहीं होता कि कैसे कई देशों में अभी भी बुनियादी ज़रुरतों के लिए संघर्ष जारी है।
एक बाहरी के तौर पर, भारत की ट्रैफिक व्यवस्था को झेल पाना काफी मुश्किल हो जाता है। सड़कों को पार करना मेरे लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था। एक बार तो एक मोटरसाइकिल सवार ने मुझे करीब-करीब टक्कर मार ही दी! लोग हॉर्न का इतना ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं कि शोरगुल में आपके लिए ये तय करना ही मुश्किल हो जाता है कि आपको करना क्या है? हिंदुस्तान के लोग इसके आदी हो चुके हैं, लेकिन किसी बाहरी के लिए ये शोरगुल बहुत ज़्यादा है। मैं कई बार शोर-गुल और अफरा-तफरी की वजह से मानो सुध-बुध ही खो बैठी।
राजस्थान की सैर मेरे लिए आंखें खोल देने वाला अनुभव रही। हम उन सुदूर इलाकों में गए, जहां पश्चिमी स्टाइल वाले टॉयलेट नहीं थे केवल देसी स्टाइल वाले टॉयलेट ही हर जगह बने थे। वो भी मुख्य पर्यटन स्थलों, होटल और बड़े रेस्टॉरेंट में ही नज़र आते थे। सफ़र के दौरान मीलों तक सार्वजनिक शौचालय नहीं दिखे। सड़कें भी पक्की नहीं थी। मेरे लिए ये और भी हैरान करने वाला था कि बुनियादी सुविधाओं की कमी की वजह से लोग नेचुरल कॉल्स के लिए खुले मैदान का इस्तेमाल कर रहे थे।
लोग बिना किसी झिझक के कचरा व्यस्त सड़कों पर फेंक रहे थे। मुझे लगा ये हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों की सामान्य आदत है। वो अपने घरों को अंदर से तो साफ रखते हैं, लेकिन जैसे ही वो घर के बाहर निकलते हैं, चारों तरफ गंदगी और कचरे से घिरे नज़र आते हैं। शायद इसलिए यहां के लोग बार-बार बीमार पड़ जाते हैं। मैंने तो ये भी देखा कि एक युवक सड़क किनारे यूरिन कर रहा था। ओह, ये कितना घिनौना था! लोगों के पांव इस पर पड़ते होंगे। हमारे कुछ रिश्तेदारों के घरों में तो हम जूते पहन कर ही अंदर दाखिल हो गए। पता नहीं कितने कीटाणु हमारे साथ अंदर पहुंचे!
हालांकि ये सारी चुनौतियां हैं, लेकिन मैं मानती हूं कि भारत में केवल खामियां ही खामियां नहीं हैं। यहां कई ऐसी अद्भुत बातें भी हैं, जिन्हें अमेरिका में रहने वाले बाशिंदे अनुभव नहीं कर सकते। मिसाल के तौर पर, सड़क किनारे बनी छोटी दुकानें मुझे बेहद पसंद आईं, जहां से आप खरीदारी कर सकते हैं। सब कुछ में एक अपनापन है। पड़ोसी आपके बारे में जानते हैं और हमेशा आपकी मदद को तैयार रहते हैं। दूसरी चीज़ जो मुझे भारत में बहुत पसंद आई, वो यहां की सांस्कृतिक समृद्धि है। मेरी मां ने मुझे बताया है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां कई सारे खूबसूरत मंदिर हैं और आपके आस-पड़ोस में हमेशा कई तरह की धार्मिक गतिविधियां चलती रहती हैं। हम घर बैठे भजन या दूसरी आवाजें सुन सकते हैं।
चूंकि मैं अमेरिका में रहती हूं, इसलिए मैं तुलनात्मक रूप से इस हालात को देख सकती हूं। अमेरिका वास्तव में काफी विकसित और समृद्ध है। यहां रहते मैं ये पूरी तरह कभी नहीं समझ पाती कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में ज़िंदगी कैसी है। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं कि इतनी छोटी उम्र में ही मुझे भारत की यात्रा का मौका मिला। अब तीसरी दुनिया के देशों को लेकर मेरा नजरिया काफी कुछ बदल गया है।
मैं इन देशों के लोगों का इस बात के लिए सम्मान करती हूं कि तमाम मुसीबतों के बावजूद लोगों में सकारात्मकता है और वो अपनी ज़िंदगी को एक उत्सव की तरह जीते हैं। यह ट्रिप काफी रोमांचक अनुभव रही, जिसे मैं हमेशा अपनी यादों में सहेज कर रखना चाहूंगी।
रिद्धी भेदा। सांटा क्लारा, कैलिफोर्निया, यूएसए में रह रही हैं। 12 साल की रिद्धी की जड़ें हिंदुस्तान में हैं। उनके दादा-दादी और नाना-नानी अभी हिंदुस्तान में ही बसते हैं। वो साल दो साल में हिंदुस्तान आती रहती हैं। अमेरिका में पले-बढ़े होने के बावजूद रिद्धी को हिंदुस्तान अपनी ओर खींचता है और वो यहां की आबो-हवा को समझना चाहती हैं।
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