कॉलेज के ‘निजीकरण’ के विरोध में बेटियां

उत्तराखंड के गैरसैंण से पुरुषोत्तम असनोड़ा की रिपोर्ट

गैरसैंण का बालिका इंटर कॉलेज। छात्राओं के हौसले बुलंद, सरकार के पस्त क्यों?
गैरसैंण का बालिका इंटर कॉलेज। छात्राओं के हौसले बुलंद, सरकार के पस्त क्यों?

गैरसैंण का राजकीय बालिका इंटर कालेज सरकार की उपेक्षा और जन प्रतिनिधियों की लापरवाही का शिकार हुआ है। इलाके में बालिकाओं की उच्च शिक्षा का एकमात्र केंद्र राजकीय इण्टर कालेज स्थापना के दिनों से ही शिक्षिकाओं की कमी से जूझ रहा है। साल 2011 में उच्च शिक्षा का प्रावधान तो कर दिया गया लेकिन चार साल बाद भी प्रवक्ताओं के लिए पदों का सृजन नहीं हो सका है। हाई स्कूल स्तर पर गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय के लिए भी कोई शिक्षिका नहीं है।

इंटर कॉलेज में लगभग 300 छात्राओं ने दाखिला ले रखा है। कक्षा 6 से लेकर 12 तक सात कक्षाओं के लिए केवल 5 शिक्षिकाएं हैं। प्रत्येक क्लास के लिए एक अध्यापिका भी नहीं है। बावजूद इसके इस कॉलेज के नतीजे एक बड़ी उम्मीद जगाते हैं। हाई स्कूल में छात्राओं का पास पर्सेंटेज 94 रहा है, जो यहां की शिक्षिकाओं के लगन और छात्राओं की मेहनत का ही नतीजा कहा जा सकता है। सन 2001 में हाईस्कूल बनने के बाद विद्यालय ने राज्य की मैरिट में भी स्थान हासिल किया।

अब भवन, भूमि, शिक्षिका और तमाम तरह की मुश्किलों से जूझ रहे इस इंटर कॉलेज को सरकार ने पीपीपी मोड पर चलाने का विचार किया है। इससे स्थानीय लोगों और अभिभावकों में काफी गुस्सा है।


पुरुषोत्तम असनोड़ा। आप 40 साल से जनसरोकारों की पत्रकारिता कर रहे हैं। मासिक पत्रिका रीजनल रिपोर्टर के संपादक हैं। आपसे [email protected] या मोबाइल नंबर– 09639825699 पर संपर्क किया जा सकता है।

 

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