मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया के ‘आदर्श गांव’ ददरी पर नीरज सिंह की एक रिपोर्ट।
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को गांवों को एक आदर्श सपना दिखाया। उम्मीद जगी कि गांव में अब विकास की गंगा बहेगी, गांव का अंधियारा दूर होगा, लेकिन एक बरस होने को हैं एकाध गांव को छोड़ दें तो गांव गोद लेने की रस्म अदायगी के सिवाय कुछ होता नज़र नहीं आ रहा। गांवों के विकास को टटोलने बदलाव की टीम मोदी सरकार की सहयोगी पार्टी अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल के ‘आदर्श गांव’ पहुंची।
उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बने मिर्जापुर जिला मुख्यालय के करीब 50 किमी दूर बसा है ‘आदर्श गांव’- ददरी। गांव की उबड़ खाबड़ सड़कों से होते हुए जब हम गांव के भीतर पहुंचे तो दीवारों पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था सांसद आदर्श ग्राम ददरी में आपका स्वागत है। हालांकि ये और बात है कि गांव की सड़कों ने जल्द ही हमें ‘वेलकम नोट’ के ‘गड्ढों’ से हमें रूबरू करा दिया।
आदर्श ग्राम योजना-एक साल, क्या हाल?
ददरी गांव की 45 साल की कीर्ति देवी की आंखें 19 नवम्बर 2014 के उस दिन को याद कर चमक उठती हैं जब अनुप्रिया ददरी गांव को गोद लेने आईं थीं। उस दिन गांव में ऐसा लग रहा था जैसे जलसा हो। सबकी नजरें अनुप्रिया दीदी पर टिकीं रहीं। वो बोलती गईं सब टकटकी लगाए सुनते रहे। सबको यकीन होने लगा कि अब गांव का कायाकल्प हो जाएगा। लेकिन 8 महीने बीत गए और हालात जस के तस हैं।
ददरी गांव में करीब 40 बसंत बिता चुकी 60 साल की पत्ती देवी कहती है “अनसुइया (अनुप्रिया पटेल) तीन दफे गांव में आईन, कहिन गांव में स्कूल, सड़क बनवाई देब, ई गांव के चमकाई देब लेकिन कुछ ना भईल भइया। पानी पीये खातिर एक चापाकल भी गांव मा ठीक ना बा, जवन बा उहो खराब पड़ल बा। अनसुइया बिटिया कुछ नहीं करत हईन तो यही का सही करा दें बचवन के पीये खातिर पानी तो मिल जाए।“
कैसे पढ़ेंगी और आगे बढ़ेंगी बेटियां?
ददरी गांव के बच्चों के लिए 8वीं तक की पढ़ाई का इंतजाम गांव में जरूर है लेकिन कोई ख़ास सुविधा नहीं। जबकि 8वीं की पढ़ाई के लिए गांव के बच्चों को पंद्रह किमी दूर जाना पड़ता है। एक तरफ स्कूल दूर और दूसरी तरफ स्कूल तक जाने का कोई इंतजाम नहीं। गाड़ियां तो दूर, सड़कें ऐसी कि साइकिल भी ठीक से न चलाई जा सके। लिहाजा 8वीं के बाद ज्यादातर बेटियों की पढ़ाई बंद करा दी जाती है। गांव के एक छात्र अमर बहादुर कहते हैं कि “सांसद जी ने डिग्री कॉलेज और खेल का मैदान बनवाले की बात कही थी लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं।“ गांव के बुजुर्ग जगन्नाथ कहते हैं कि ‘’अभी तक गांव में कवनो बदलाव नहीं भईल, कभी-कभार अनुप्रिया आवत हईन, दुनिया भर के पैसा खर्च होत बा लेकिन कुछ होत जात नहीं बा?”
मिर्जापुर के हलिया विकास खंड के ददरी आदर्श गांव के लोगों को अब तक आस-पास के गांव वालों के ताने भी सुनने को मिलने लगे हैं। पड़ोस के गांव वाले दिखाई दे जाते हैं तो ददरी के लोग रास्ता बदलने की जुगत में जुट जाते हैं क्योंकि अब लोग पूछते हैं कि — “का हो… का हाल बा ? सांसद जी क गांव मजे में बा?”
–नीरज सिंह पिछले एक दशक से गांव की पत्रकारिता कर रहे हैं । गांव की हर छोटी-बड़ी खबरों पर पैनी नजर रखते है । आप इनसे इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं ।
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