पतझड़ की सूनी शाखों को नित है हरियाली की आशा,
फिर से मानवता लौटेगी जोह रहा पथ “पथिक” उदासा।
आजादी की आशा लेकर वीरों ने दे दी कुर्बानी,
पर भारत के लोगों का है मरा, आज आँखों का पानी।
शहर-शहर है दहशत फैली बस्ती-बस्ती आग लगी है,
अपने पुत्रों की करनी पर भारत माँ स्तब्ध, ठगी है।
घोर विषमता की बेला है हर इन्सां का मन मैला है,
बीत गई वह हँसी-ठिठोली कैसा सन्नाटा फैला है?
पर लौटेंगे स्वर्णिम दिन फिर धीर धरो रे! प्यारी आशा,
द्वारे वन्दनवार सजाए लिये आरती मेरी आशा।
पतझड़ की सूनी शाखों को नित है हरियाली की आशा।।
कवि का नया संसार
इस कलम से आज कवि तुम एक नया संसार लिख दो,
हो नही समता जहां पर तुम वहाँ अंगार लिख दो ।
आज लिख दो आँसुओं पर, एक खुशी का गान कोई
दर्द में डूबे मनुज के अधर पर मुस्कान कोई ।
हर खुशी के कोष पर तुम, मनुज का अधिकार लिख दो
इस कलम से आज कवि तुम एक नया संसार लिख दो ।।
दे रही सदियों से धरती अन्न जल जीवन सहारा,
पर सहमकर जी रही है आज यमुना गंग धारा ।
जो मिटायें इस धरा को तुम उन्हें धिक्कार लिख दो,
इस कलम से आज कवि तुम एक नया संसार लिख दो ।।
आज कैसा वक़्त आया भाई भाई को न जाने,
सब खिंचे से जी रहे हैं बात किसकी कौन मानें।
नफरतों को तुम मिटाकर आज केवल प्यार लिख दो ,
इस कलम से आज कवि तुम एक नया संसार लिख दो ।।
कहते हैं कहते हैं मुझसे वो कोई गीत लिखूं मैं,
अब उन्हें रिझाने को संगीत लिखूं मैं।
कोई कलम नहीं हूं कहने पर चल जाऊं,
कोई वृक्ष भी नहीं जब भूख लगे फल जाऊं ।
चाह यही है चाहत से उनकी विपरीत लिखूं मैं,
कहते हैं मुझसे वो कोई गीत लिखूं मैं ।।
कहते हैं नहीं लिखूंगा तो रूठ जाएंगे वो,
दूर गए जो मुझसे खुद भी टूट जाएंगे वो।
क्यों निर्मोही को अपने मन का मीत लिखूं मैं,
कहते हैं मुझसे वो कोई गीत लिखूं मैं ।।
कहते हैं लिखूं प्रेम कहानी मैं उनके दीवानों की,
अपनी प्रीत मैं लिख ना पाया पाती लिखूं बेगानों की?
लीक से हटकर चलता हूँ क्यों कोई रीत लिखूं मैं,
कहते हैं मुझसे वो कोई गीत लिखूं मैं।।
कहते हैं प्रीत मेरी तुम कुछ बढ़ा चढ़ा कर लिखना,
मेरे अंदाजों को थोड़ा तुम सजा धजा कर लिखना।
सच्चाई के मत वाला हूँ क्यों ग्रीष्म शीत लिखूं मैं,
कहते हैं मुझसे वो कोई गीत लिखूं मैं।।
समझाते कुछ लोग मुझे जीत को अपना प्यार लिखूं,
बदबू आती जिन फूलों से उनको पावन हार लिखूं।
नफरत के काबिल दुनियां की वहशत को प्रीत लिखूं मैं?
कहते हैं मुझसे वो कोई गीत लिखूं मैं ।।
ईशान “पथिक “/ नैनीताल के सेंट टेरेसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 12वीं कक्षा के छात्र।बिहार के मुजफ्फरपुर के मूल निवासी। बचपन से ही कविता लिखने का शौक । *सर्च फाउण्डेशन के माध्यम से निराश्रित एवं असहाय बच्चों के लिए काम करते हैं। आपका काव्य-संग्रह “मैं उस जन्नत को मांगूंगा” शीघ्र प्रकाश्य ।