सत्येंद्र कुमार यादव
क्या किसी बच्चे के पिता की मौत हो जाए और उसकी मां विधवा हो जाए, ऐसे में उसके हाथ का बना खाना खाने से अपशकुन होता है? क्या जो रिश्तेदार अक्सर उस घर में आते रहते हैं, वो उस महिला के हाथ की बनी चाय पीएंगे तो आफत आ जाएगी? क्या लड़के के दोस्त उसकी मां के हाथ से बने पराठे खाएंगे तो बीमार पड़े जाएंगे? क्या उस परिवार के लिए घर की बहू या बेटी अभिशाप बन जाएगी? क्या उस घर के लोग उसके हाथ का बना भोजन खाना छोड़ देंगे? क्या कम उम्र में पति की मौत हो जाने से विधवा महिलाएं बदचलन हो जाती हैं? क्या घर से बाहर निकलकर काम करने वाली विधवा महिलाएं चरित्रहीन हो जाती हैं? शायद नहीं, फिर क्यों ऐसे आरोप कई महिलाओं पर लगते रहते हैं? फलाना की पत्नी कुल्टा है! उसकी पतोहू बदचलन है… अरे! उस विधवा से बात मत करना, बहुत अपशकुनी है! रास्ता काट देगी तो जतरा खराब हो जाएगा! सुबह-सुबह उसका मुंह देख लोगे ना… तो दिनभर सिर दर्द करेगा! इस तरह की बातें गांव में अक्सर सुनने को मिलती रहती हैं। मैंने भी सुनी है। बिना आधार, बिना सबूत ऐसी अफवाहें फैलाकर किसी ना किसी को अपमानित किया जाता है। लेकिन टीम बदलाव आपके लिए लेकर आई है, एक विधवा महिला के सम्मान की कहानी। गोपालगंज के जिलाधिकारी राहुल कुमार ने एक महिला के सम्मान को तमाम अंधविश्वासों, अफ़वाहों पर तरजीह दी है।
बात बिहार के गोपालगंज जिले के बरौली में स्थित कल्याणपुर मिडिल स्कूल की है। गांव के लोग इस स्कूल में बने मिड डे मिल को इसलिए अपने बच्चों को खाने नहीं दे रहे थे कि महिला रसोइया विधवा है और उसके हाथ से बना खाना खाने से अपशकुन होता है। ऐसी अफवाह फैलाकर उसको स्कूल से बाहर कर दिया गया था। रसोई में ताला लगाकर उसे भगा दिया गया। वो परेशान थी, दर-दर न्याय की गुहार लगा रही थी। कोई सुनने वाला नहीं था। लेकिन मामला जब गोपालगंज के जिलाधिकारी राहुल कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने ऐसा काम किया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। हमने डीएम राहुल कुमार से इस मामले को विस्तार से जानना चाहा। इस घटना के पीछे की कहानी क्या है? फोन पर हुई बातचीत में 2011 बैच के IAS राहुल कुमार ने विस्तार से पूरी घटना को बताया-
“बरौली के कल्याणपुर मिडिल स्कूल में 6 रसोइया हैं। कुछ महीने पहले बदचलनी के आरोप में महिला रसोइया को हटा दिया गया था। मैंने विद्यालय शिक्षा समिति की प्रोसिडिंग मंगवाई। महिला की अपील के बाद कार्य पर रखने का आदेश हुआ। आदेश के बाद भी रसोइये की ज्वाइनिंग नहीं हो रही थी। परेशान होकर पिछले माह मेरे पास आईं। फिर से ज्वाइन कराने के लिए आदेश हुआ। सोमवार (14 दिसंबर) को महिला ने ड्यूटी ज्वाइन की और खाना भी बनाया। लेकिन उसे काम से रोकने के लिए कुछ ग्रामीण आ गए। ग्रामीणों ने विरोध किया कि ये महिला खाना बनाएगी तो हमारे बच्चे नहीं खाएंगे और इस स्कूल में नहीं पढ़ेंगे। ये घटना मेरे संज्ञान में लाई गई। मैंने कुछ अधिकारियों को स्कूल भेजा। बात नहीं बनी। ये महिला मेरे जनता दरबार में आ गई। मैंने उसकी पूरी बात सुनी और अगले दिन जिला शिक्षा पदाधिकारी, बीडीओ और कई अधिकारियों को मौके पर भेजा। महिला ने मिड डे मिल बनाया, छात्र भी स्कूल में मौजूद थे। लेकिन मुझे लगा कि इस मामले का समाधान ऐसे नहीं होगा और ना ही रोजाना अधिकारियों को भेजना संभव है। मैंने खुद जाने का निश्चय किया। लोगों से खुद मिलने का विचार किया। जितने लोग विरोध में थे, वो ग्रामीण हैं। ऐसे लोग आसानी से अंधविश्वास में आ जाते हैं। मैंने लोगों को डांट लगाई और समझाया।
जब मैं स्कूल पहुंचा उस समय बच्चों को खाना परोसा जा रहा था। मैंने सोचा कि जो अफवाह है, उसे साबित नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों को विजुअल एक्शन के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। मैंने महिला रसोइये को बुलाया और कहा कि ‘सबके सामने मेरे लिए मिड डे मिल लेकर आओ मैं खाऊंगा।‘ मौके पर उसके दो बच्चे भी थे जो उसी स्कूल में पढ़ते हैं। मैंने गांव वालों से बोला कि अगर विधवा के हाथ से खाने पर अपशकुन होता है तो सबसे पहले उसके बच्चों के साथ होगा। क्योंकि बच्चे उसी के साथ रहते हैं और रोजाना उसी के हाथ का बनाया खाना खाते हैं। अगर आप लोगों को विश्वास नहीं है तो मैं खुद इस महिला के हाथ का बनाया खाना सबके सामने खा रहा हूं। देखा कि लोगों में सकारात्मक संदेश गया। मौके से लौटने के बाद मैंने बाद के घटनाक्रम की जानकारी ली, महिला से बात की। पता चला कि मेरी पहल से लोगों की सोच में तात्कालिक बदलाव आया है। अभी तक कोई विरोध नहीं दिखा। “
ऐसी चीजें काफी शर्मनाक है। डीएम राहुल ने कहा कि महिला के खिलाफ अगर खराब खाना बनाने की शिकायत होती तो कार्रवाई करता लेकिन यहां बदचलनी का आरोप था। विधवा होने की वजह से एक अंधविश्वास, अफवाह फैलायी गयी थी। जिलाधिकारी राहुल कुमार ने बातचीत में बताया कि महिला विधवा है और दो बच्चे हैं। ऐसे में समाज को खुद ब खुद इसके समर्थन में आना चाहिए। उम्मीद है कि जिलाधिकारी राहुल कुमार की तरह बाकी अधिकारी भी ऐसे मामलों को इतनी ही संजीदगी और संवेदनशीलता के साथ समझेंगे।
सत्येंद्र कुमार यादव, फिलहाल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता के पूर्व छात्र। सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता से आप लोगों को हैरान करते हैं। उनसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।
काली नज़रों से घर नहीं जलते, बकरी नहीं मरती…. पढ़ने के लिए क्लिक करें
Very nice report. Ise hi kehte hain badlav
धन्यवाद सर
A very nice ? deed done by Mr. D M.It should be followed by all of us
?
Arun Pathak वाकई बेहद शानदार बदलाव
Ranjit Singh- But news wale isko nahi dikhate. Ye news social media se chalkar news room tak pahuchi fir v esko jayada nahi chalaya gaya kyonki masala nahi tha.
Faizu Fs- Proud to have a DM Like you.