हम चलते गए, कारवां बनता गया…

 

साल 2015 बीत गया और साल 2016 के सूरज ने दस्तक दे दी। पुराने साल में पाठकों से बने रिश्ते को सहेजे टीम बदलाव नए साल में दाखिल हुई है। इस उम्मीद के साथ  कि सकारात्मक बदलाव की पगडंडी पर आपका साथ यूं ही मिलता रहेगा। हम यूं ही आगे बढ़ते रहेंगे… कारवां बनता रहेगा। पिछले साल यूं तो हमने कई ऐसी रिपोर्ट की, जो हमें कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देती हैं। नये साल के मौके पर ऐसी ही कुछ चुनिंदा रिपोर्टों का पुनरावलोकन करते हैं। खयाल रहे, ये बस बानगी भर है, वरना आप भी जानते हैं… बदलाव की हर रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है।

गोपालगंज के डीएम राहुल कुमार ने दो निवालों से बढ़ा दिया एक विधवा महिला का सम्मान।डीएम साहब, सम्मान का ये ‘निवाला’ वो कभी नहीं भूलेगी

विधायिका और न्यायपालिका की चर्चा खूब होती है… लोकतंत्र का चौथा खंबा भी गाहे-बगाहे अपनी मौजूदगी दर्ज करा ले जाता है। लेकिन लोकतंत्र के तीसरे खंबे की बात अक्सरां शिकवे-शिकायतों के साथ ही होती है। ऐसे में गोपालगंज के डीएम राहुल कुमार ने जो किया वो तारीफ के काबिल है और इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से हो रही है। हम और आप भले ही कुछ दिनों में इस वाकये को भूल जाएं लेकिन गोपालगंज की वो विधवा, सम्मान का ये निवाला कभी नहीं भूलेगी…. पढ़ें एक रिपोर्ट बदलाव पर। http://badalav.com/?p=2618


 

घर पर कोमल और अस्पताल में साथी रखते हैं काजू-किशमिश का खयाल।

इस दीवाली उसके घर रिद्धि-सिद्धि आई हैं!

दीवाली का दिन आप दीपक जलाते हैं-उम्मीदों का… नए मूल्यों का… ज़िंदगी के नए सपनों का… ऐसे ही एक सपनों को सच करने का साहस दिखाया है.. डॉक्टर कोमल ने… इस दीवाली उनके घर रिद्धि-सिद्धि आईं हैं… पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें।  http://badalav.com/?p=1974


 

 तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं shailesh

वो दिल्ली से लौट कर अपने गांव गए… सरपंच का चुनाव लड़ा जीत भी गए… गांव वाले उन्हें दिल्ली लौटने नहीं देते और अधिकारी उन्हें काम करने नहीं देते… कभी-कभी तो मन झुंझलाता है न… कभी-कभी तो मन सब छोड़-छाड़कर लौट आने को करता है न… लेकिन टीम बदलाव की गुजारिश है… तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं… पढ़ें मध्यप्रदेश के एक गांव के नायक की कहानी। http://badalav.com/?p=1821


 

bhakti sharmaअमेरिका से लौटी ‘भक्तन’ बदल रही है गांव

आपकी हमारी तरह कुछ सपने उसने भी बुने थे… वो भी अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने के सपने बुन रही थी… लेकिन पिता की पुकार उसे अमेरिका से गांव तक खींच लाई… अब वो अपने गांव के लोगों की ‘लेडी ओबामा’ है… एक महिला सरपंच की प्रेरक दास्तां… पढ़ें बदलाव पर। http://badalav.com/?p=2346


अधिकार मिला, अगली लड़ाई आज़ादी की। आईएएस में 22 रैंक हासिल करने वाली नेहा की मुस्कान कुछ कहती है।शासन का ‘सुडोकू’ सुलझाएगी गांव की बेटी

पिछले साल आईएएस के इम्तिहान में गांव की बेटियों ने बाजी मारी । उन्हीं में से एक हैं नेहा सिंह । 22वीं रैंक हासिल करने वाली नेहा सिंह गांवों में बदलाव की समर्थक हैं । नेहा की कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें-http://badalav.com/?p=362


 

वजीफन ने हौसलों से जीती हर जंग

वजीफन खातून, ज़िंदगी से नहीं शिकवा। फोटो-विपिन कुमार दास
वजीफन खातून, ज़िंदगी से नहीं शिकवा। फोटो-विपिन कुमार दास

हौसले हारने नहीं देते… मुसीबतें ज़िंदगी जीने का सलीका सिखाती हैं… खुदा से शिकायत क्यों… कुछ इसी फलसफे में यकीन करने वालीं वजीफन बन गई हैं मिसाल… पढ़ें विपिन कुमार दास की रिपोर्ट बदलाव पर।

http://badalav.com/?p=2482


 

चलो ‘गुइयां’, अपन भी अखबार निकालें

patalkot sachinमध्यप्रदेश में एक गांव के बच्चों ने अपना अखबार निकाला है… हर गांव में ऐसा अखबार निकले तो क्या बात हो ? नए साल पर कुछ इसी सपने के साथ पढ़ें ये रिपोर्ट।

http://badalav.com/?p=2207