विवेक मिश्रा
अरे यार। नहीं…नहीं…धत। छि:। दुष्यंत श्रीवास्तव ये क्या किया तुमने। यह कहते हुए नाक सिकुड़ी हुई थी मोहन पांडेय की।
दुष्यंत – हैरान और अवाक था…जाने कौन सा पाप हो गया उससे। क्या.. क्या किया… क्या… किया मैंने।
मोहन – अरे वो मुसलमान है उसके टिफिन में खा लिया तुमने। दुष्यंत का लोप हो गया… तेज आवाज निकली, श्रीवास्तव हो यार। क्लास में कोई उसके टिफिन में खाना नहीं खाता। पता नहीं कहां से आ गए दो कटुए। एक अरबाज और दूसरा शादाब। दोनों बड़े गंदे हैं। जानते हो ये कई-कई दिनों तक नहाते भी नहीं। बगल में बैठो बदबू आती है… अरे यार बस यही दो हैं हमारी क्लास में। रोज पीटे जाते हैं। जो मटन तुमने खाया वो बीफ था।
कहानी
चुप्पी तोड़ते हुए दुष्यंत बोला-…अच्छा… अबे यार लेकिन मेरे पापा कह रहे थे कि बीफ खाने के नाम पर किसी अखलाक को अभी भीड़ ने कुचल-कुचल कर मार डाला। उसके घर में मटन रखा था, उसे भी लोग बीफ बता रहे थे। जानते हो बाद में जांच हुई और वो बीफ नहीं निकला।
मोहन – अबे दुष्यंत तुम गधे हो…साले तुझसे बता रहा हूं, अक्सर इनके टिफिन में बीफ ही होता है।
दुष्यंत – अबे तो क्या करूं अब तो खा लिया…
मोहन -कोई बात नहीं…किसी से बताना मत। लेकिन दिल-दिमाग में गांठ बांध कर रख लो…इनके गोश्त, इनकी दावत का मतलब बीफ…
दुष्यंत – हां भाई सही कह रहे हो।
दोनों क्लास खत्म होने के बाद बस्ता झोला बांध रहे थे…
मोहन बोला अबे पांचवी क्लास में तुमने टॉप किया है साले कुछ खिलाओगे…दुष्यंत बोला क्यों नहीं…साले बीफ खाओगे…दोनों खिल-खिलाकर हंस दिये…
छठवीं क्लास में मोहन-दुष्यंत एक सेक्शन में थे और अरबाज और शादाब दूसरे सेक्शन में। ये फासला बढ़ता ही रहा।
मेट्रो में एक किनारे बैठे वृद्ध यह किस्सा सुना रहे थे। बीच में टोकते हुए एक युवा ने पूछा – अंकल फिर वो मोहन…शादाब सभी कहां हैं। बेटा…मोहन और दुष्यंत हिंदू बन गए और शादाब व अरबाज तो पहले से ही मुसलमान थे। बेटा…साल-दर-साल बंधती हुई गांठें दिलो-दिमाग पर गहरी होती जाती हैं। गौर से देखो समाज की क्लास में ये दो सेक्शन तुम्हें देखने को मिल जायेंगे। ओह…लगता है मेरा स्टेशन आ गया..प्लीज मुझे जाने दें…उतरना है।
दरवाजें दायीं तरफ खुलेंगे….अगला स्टेशन…..है। कृप्या दरवाजों के सहारे न खड़ेे हों।
विवेक मिश्रा। बहराइच उत्तरप्रदेश के निवासी। फिलहाल दिल्ली में प्रवास। जवाहर नवोदय विद्यालय के पूर्व छात्र। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई। बिजनेस भास्कर, प्रभात खबर और अमर उजाला से पेशे की खूबियां और खामियां दोनों ही सीखने का मौका मिला।
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