फेसबुक पर मोहब्बतें-एक
एक मेरे फ़ेसबूक मित्र हैं राज झा। ये दरभंगा (बिहार) के मनीगाछी – फुलपरास के समीप बरहमपुरा गांव के हैं, लेकिन रहते हैं दिल्ली में। यदा कदा घर आते जाते रहते हैं। इन्होंने फ़ेसबुक पर ही मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की। मैंने सहस्र स्वीकार कर लिया। मकर संक्रांति में दिल्ली से गांव पहुंच कर मुझे सूचना दी। मैं उनके घर पहुंच गया। किसी फ़ेसबुक मित्र से पहली मुलाक़ात हुई। देश दुनियाँ, घर-परिवार पर लम्बी चौड़ी बातें हुई। करीब दो घंटे से ज्यादा समय तक साथ रहने का मौका मिला। जब मैं चलने लगा तो उन्होंने उपहार में एक केनन का कैमरा देकर मुझे विदा किया। मैं सोचने को मजबूर हो गया, मुझे लगा कि कोसी बिहार की तस्वीरों से उन्हें ज्यादा लगाव है। इस बीच मेरा कैमरा ख़राब होने के साथ-साथ चोरी हो जाने पर मेरी मजबूरी और कोसी के तस्वीरों से वंचित नहीं रहने की भावना ही उपहार की वजह रही होगी शायद। मित्रों, अब उपहार वाले कैमरे की ही तस्वीरों से रूबरू कराता रहूँगा। इसके लिये राज भाई को हार्दिक बधाई।
(अजय कुमार के फेसबुक वॉल से)
फेसबुक पर मोहब्बतें-दो
ये उम्र का तैंतीसवां वर्ष भी अपने अंतिम दिवस आंतरिक रूप से संवेदित कर गया !
भीमकुंड की यात्रा से ठण्ड क्या लगी, दिन भर कहीं न निकले ! जन्मदिन का ये उदास चेहरा लेकर किसी से कह भी न पाए !
पर कहते है न अंत भला तो सब भला !
दो बड़े भाई (शैलेन्द्र और वीरेन्द्र गोयल जी) सपरिवार घर आ पहुंचे ! दो भाभियों, बिटिया मन्नत, छोटू और माता – पिता के वात्सल्य और स्नेह की छाँव में इस रात का सुखद अंत हुआ ! सबने मिलकर ये जन्म उत्सव साझा किया ! ….एक मिथक टूटा कि आवश्यक नही रक्त से सम्बन्ध बने… आवश्यक ये है कि ममता किस मायने में किनसे मिल रही है ! …सबको हृदय से प्रणाम । ये रात जीवन भर स्नेह में रुलाएगी ! दुआ करना ये नकारा आदमी आप सबके विश्वास में खरा रहे !