धर्मराज सिंह के फेसबुक वॉल से
मेरा दोस्त, मेरा भाई .. दिल्ली में पेशेवर जीवन का संभवत पहला दोस्त, रिश्ता ऐसा कि कभी भी सुख दुख साझा नहीं करने पर हक से एक दूसरे को गाली देकर शिकायत कर सकते थे कि तुम अब बता रहे हो ।उसके लिए शोक संदेश लिखना होगा, ऐसा कभी सपने में नहीं सोचा था । सुबह जागने के बाद से ही हर पल ये सोच रहा हूँ कि कोई ये बता दे कि अबे ये सच नहीं है । 2011 की इस तस्वीर को अभी देख रहा हूँ तो लग रहा है कि अभी तुम्हारा फोन आएगा और आवाज आएगी, ओर राजा कैसे हो ।
महामारी के इस दौर में पहली बार अंदर तक हिला हुआ महसूस कर रहा हूँ । समझ नहीं पा रहा कि कैसे इस पर रियेक्ट करूँ । क्या लिखूं क्या बोलूं ।अलविदा साकेत, तुम गए हो लेकिन कई यादगार पल ताउम्र मेरे साथ रहेंगे । अब तुम जहां भी हो वहां भी मस्त होकर रहना भाई ।
विनम्र श्रद्धांजलि
राजीव कमल के फेसबुक वॉल से
तुम बहुत बड़ा दुख दे गये साकेत…ऐसे भी कोई जाता है दोस्त? हमारे छोटे से ग्रुप के तुम हीरो थे…अब अभिवादन में हमें ‘हो हा’ कौन कहेगा?