पशुपति शर्मा सुन्नर नैका। कोसी मइया की धाराओं और उसके प्रवाह की तरह कई तरह की अनिश्चितताओं और आवेग के साथ
Tag: साहित्य
मछलियां
मछली का मायका नहीं होता उसे ब्याह कर ससुराल नहीं जाना पड़ता उसका मरद उसे छोड़ कमाने बाहर नहीं जाता
बड़ों की कविताएं-छंद, बच्चों के किस्से चंद
बदलाव प्रतिनिधि, ग़ाज़ियाबाद रविवार, 25 जून ,2017 को वैशाली, गाजियाबाद के सेंट्रल पार्क में “पेड़ों की छांव तले रचना पाठ”
मनुष्यता का संदेश देती सच्चिदानंद जोशी की कहानियां
पशुपति शर्मा साहित्य अकादमी का सभागार शनिवार, 27 मई की शाम एक और पुस्तक विमोचन का गवाह बना। प्रभात प्रकाशन
सच्चिदानंद जोशी की पुस्तक का लोकार्पण 27 मई को
बदलाव प्रतिनिधि, दिल्ली सच्चिदानंद जोशी, कभी आप उनमें एक शिक्षाविद ढूंढ सकते हैं। कभी उनमें आप एक संस्कृतकर्मी तलाश सकते
ठूंठ समय
अखिलेश्वर पांडेय यह समय एक ठूंठ समय है एक झूठ समय है एक ढीठ समय है जिसके पास सत्ता है
चिड़ियों के लिए निमंत्रण पत्र
पंखुरी सिन्हा चिड़ियों को नहीं भेजने होते कबूतरों के गुलाबी पैरों में बाँध कर निमंत्रण पत्र केवल पेड़ लगा देने
अंग-अंग में बोल गया फागुन
संजय पंकज बोल गया फागुन अंग अंग में जाने कैसा रस घोल गया फागुन ! रंग नयन में गंध सांस
कितना आसान है…
नूतन डिमरी गैरोला दूसरों के चेहरों की मुस्कानों से उल्लसित हो जाना तृप्त हो जाना मुस्कानों के सिलसिलों का खुद
वसंत, फाग और प्रेम कविताओं का चक्रव्यूह
‘पेड़ों की छांव तले रचना पाठ के अंतर्गत 29वीं साहित्यिक गोष्ठी वैशाली गाजियाबाद स्थित हरे भरे मनोरम सेंट्रल पार्क में