ब्रह्मानंद ठाकुर गांधी और व्यावहारिक अराजकवाद सिरीज के अन्तर्गत अभी तक आप विभिन्न अराजकवादी चिंतकों के विचारों से अवगत
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गांवों में विकास की धीमी रफ्तार और नौकरशाही का ढुलमुल रवैया
शिरीष खरे भारतीय प्रशासन का वर्तमान ढांचा ब्रिटिश शासकों से विरासत में मिला है। इसी ढांचे के नीचे गांव का विकास
विकास की अंधी दौड़ में बिगड़ रहा गांव का ताना-बाना
ब्रह्मानंद ठाकुर हमारा गांव अब पूरी तरह से वैश्विक बाजार के हवाले हो गया है। खाने-खाने-पीने की चीजों से लेकर
भुईली के ‘रायबहादुरों’ ने दिल्ली में लिया बड़ा संकल्प
संजीव कुमार सिंह सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने की कहावत खूब सुनी है, लेकिन इस बार अपने अरमानों पर ओले