दयाशंकर मिश्र बहुत सी चीजें हैं, जिनका ‘हां और न’ में कोई जवाब नहीं. जहां जीवन का प्रश्न है, वहां
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मानव हैं तो मशीन वाली सोच क्यों रखते हैं ?
दयाशंकर मिश्र कभी राह चलते अपनी ही गलती से हम गिर पड़ते हैं. कभी खुद से गाड़ी को टक्कर लगा
क्षमा के लिए ‘विषधर भुजंग’ नहीं ‘विषमुक्त संकल्प’ चाहिए
दयाशंकर मिश्र मन में क्षमा कभी गहरे नहीं उतरती, क्योंकि हम छोटे-बड़े में उलझे हैं। मन कमजोर, शक्तिशाली के चयन
आपना मन पहिचान के… चलो जोगीरा बदलन गांव
दयाशंकर मिश्र छोटे-छोटे प्रश्नों पर हम इतने अधिक चिंतित होते जा रहे हैं कि जीवन में चिंता की कड़वाहट दोगुनी
मनुष्य सज़ा से नहीं प्रेम से बदलते हैं…. और हमारी दुनिया भी!
हमारे प्रेम से रिश्ते इतने जर्जर हो गए हैं कि थोड़ा-सा धक्का लगते ही टूट जाते हैं. बदलने के लिए
दिल की गांठें खोल रे मनवा
दयाशंकर मिश्र हर कोई खुद पर मोहित है, मानो सारा संसार उसके लिए धूल है। वह तब तक ऐसा करता
जीते जी हाल पूछोगे… प्यार करोगे… तो अफसोस न रहेगा!
दयाशंकर मिश्र आभार या खेद के फूल! हम जीवन के प्रति अपने चुनाव में इतने अस्पष्ट और द्वंद्व से भरे
ढिंढोरा पीटने की आदत बदल डालें
दयाशंकर मिश्र हम पूरी ऊर्जा लगा देते हैं यह बताने में कि किसके लिए अब तक क्या-क्या किया! कर्तव्य का
मन की गांठें खोल रे मनुआ… पढ़ ले ‘जीवन संवाद
मोहन जोशी अमूमन ये देखने में आता है कि रचनाकार अपने लेखक होने के गुमान को ओढ़े रहता है और
जीवन संवाद- देश को ‘हज़ार-हज़ार दयाशंकर’ चाहिए
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार जीवन संवाद। दयाशंकर मिश्र की पुस्तक। 5 जनवरी, 2020 की शाम इस पुस्तक