अखिलेश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार बच्चों को कहानियां सुनाने का अपना अलग ही मजा है । फिर से
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मुंदरी
डॉक्टर प्रीता प्रिया हॉस्टल के लान में पुरवइया सी दौड़ती -भागती, हंसती- खिलखिलाती लड़कियों के झुंड के सामने अचानक ही
बीफ
विवेक मिश्रा अरे यार। नहीं…नहीं…धत। छि:। दुष्यंत श्रीवास्तव ये क्या किया तुमने। यह कहते हुए नाक सिकुड़ी हुई थी मोहन
पगला नथुनिया… तेरा बऊआ आया गांव रे!
तब ये ट्रेन कहां थी गांव जाने के लिए। रामेश्वर घाट पर मिनी बसें छोड़ जातीं और फिर वहां