अंकुरण.. कही भी होनव-जीवन का एहसास दे जाती है!बीजों में हो तोनव जीवन को अंगीकृत करती है।करती है प्रदर्शित,बंद सरहदों
Tag: कविता
और बूंदों ने पकड़ी राह
बूंदें पत्तियों पर ठहरनाधीरे धीरे छलकनापत्तियों से बतियानापत्तियाँ खामोश रहेंगी वो बोलीं तो हिलींऔर बूंदों ने पकड़ी राह पलों के
एक एहसास-मेरा घर
मैं जब अपने घर के करीब आता हूं तो एक ठंडी हवा का झोंका आता हैकई तरह की खुशबू घुली
ना कह के भी, सब कहना है
जब उमड़े ज्वार सवालों केजब शब्दों में कहना हो मुश्किलजब कहना चाहो, अंदर का सबजब लगे कौन समझेगा, ये सबजब
फूल और पत्तियां
पशुपति शर्मा/ आज फूल कर रहे थे बातें गुलाब, अपने रूप पर इतरा रहा था गेंदा, अपने गुणों का बखान
साइलेंसर वाले इंसान
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार साइलेंसर वाली बंदूक बड़ी ख़तरनाक होती है आपके आस-पास चलते-फिरते शख्स को वो
अगिला बार ढेर दिन खातिर अईह
अखिलेश्वर पांडेय कम पानी वाले पोखर की मछलियां दुबरा गयीं हैं ऊसर पड़े खेतों की मेढ़ें रो रही हैं बेरोजगार
अखबार के जरिए यथार्थ से जुड़ना, एक मुगालता- आलोक श्रीवास्तव
पशुपति शर्मा पत्रकारिता में वैश्वीकरण के बाद एक नया बदलाव आया है। वो समाज के बड़े मुद्दों पर बात नहीं
आलोक श्रीवास्तव की दो कविताएं
एक दिन आएगा एक दिन आएगा जब तुम जिस भी रास्ते से गुजरोगी वहीं सबसे पहले खिलेंगे फूल तुम जिन
लगता है इंसानियत का खेत बंजर हो गया
बदलाव प्रतिनिधि, ग़ाज़ियाबाद 26 अगस्त ’ 2018, रविवार, वैशाली,गाजियाबाद। “प्रेम सौहार्द भाई चारे” पर गीतों , कविताओं और गजलों से परिपूर्ण “पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” की 47वीं साहित्य गोष्ठी वैशाली