वरिष्ठ पत्रकार राकेश कायस्थ के फेसबुक वॉल से साभार राठौड़ बिचित्रमणि सिंह! नाम सुनकर लगता था कि बाबू देवकीनंदन खत्री
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ये मूर्खता के भूमंडलीकरण का दौर है !
राकेश कायस्थ/ पिछले पांच साल में इस देश में प्रति मिनट जितने शौचालय बने हैं, उन्हें अगर जोड़ा जाये तो
सूरत अग्निकांड के बाद भी क्या हम कुछ नहीं सीखेंगे ?
राकेश कायस्थ सूरत अग्निकांड की तस्वीरें स्तब्ध कर देने वाली हैं। सुंदर भविष्य का सपना देख रहे 21 नौजवान जलकर
एग्ज़िट पोल और उसके मायने समझिए
राकेश कायस्थ 1. यह बहुत साफ था कि 2019 की लड़ाई अंकगणित बनाम केमेस्ट्री होगी। मतलब यह कि जितने भी
चुनाव कामरेड कन्हैया लड़ रहे हैं, भगवान परशुराम नहीं !
राकेश कायस्थ सोशल मीडिया पर सक्रियता के जो साइड इफेक्ट हैं, उनमें आपका ना चाहते हुए रियेक्रशनरी होना जाना भी
चुनावी समर में शह-मात का खेल जारी है
राकेश कायस्थ क्या कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना ने अचानक चुनावी विमर्श को बदल दिया है? कांग्रेस जिस तरह `आय
सिर्फ धारणाओं से देश नहीं चलता साहब !
राकेश कायस्थ क्या डर सिर्फ एक धारणा है? ठीक उसी तरह जिस तरह विकास एक धारणा है। धारणा यानी इंप्रेशन
वैशाखनंदन लिखो या शारदानंदन गालियां तो पड़ेंगी ही
राकेश कायस्थ सोशल मीडिया पर हंगामा ना हो फिर काहे का सोशल मीडिया। अगर शांति चाहते हैं तो कुछ समय