अनिल तिवारी मेरे कुछ मित्रों ने एपीसोड 8 के बाद पूछा कि बीआईसी किस तरह के नाटक किया करती थी?
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व्यक्ति की इच्छाओं का द्वंद्व- हयवदन
संगम पांडेय अक्षरा थिएटर में लाइट्स वगैरह की कई असुविधाएँ भले हों, पर इंटीमेट स्पेस में प्रस्तुति का घनत्व अपने
फाइव स्टार सुविधाओं वाला शुरुआती रंगकर्म
अनिल तिवारी 1968 में 15 बर्ष की उम्र में ‘टी पार्टी’ नाटक में अभिनय करने के पश्चात मील एरिया में
‘टी पार्टी’ से बन ही गये हम नचकैया
अनिल तिवारी 1968 में जब मेरी उम्र मात्र 15 वर्ष की थी तब तक मैं स्कूल के शिक्षकों के लिये
रंगकर्मी की संवेदना और गृहस्थी में कैद मां
अनिल तिवारी वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल तिवारी जी ने अपनी रंग यात्रा को फेसबुक पर एक सीरीज में साझा किया है।
आजमगढ़ का शारदा टाकीज बना रंगमंच का नया ठीहा
संगम पांडेय आजमगढ़ के उजाड़ और खस्ताहाल शारदा टाकीज को अभिषेक पंडित और ममता पंडित ने रंगमंच के लोकप्रिय ठीहे
भारत रंग महोत्सव में दिखेगा मैथिली रंगकर्म का ‘मेलोरंग’
अनु गुप्ता भारत एक ऐसा देश है जहां हर सौ कदम पर भाषा बदल जाती है। इस देश को अनेक और
इंटरनेट के दौर में दो पीढ़ियों के दो अलग-अलग युग
संगम पांडेय जो दर्शक वही-वही नाटक देख-देख कर ऊब चुके हों उन्हें निर्देशक सुरेश भारद्वाज की प्रस्तुति ‘वेलकम जिंदगी’ देखनी
‘आफ़ताब’ और ‘सूरज’ से रौशन होना हो तो, खिड़कियां खोल लें
पशुपति शर्मा पटना में चल रहे अनु आनंद राष्ट्रीय रंग महोत्सव के चौथे दिन की दोपहर गांधी के आदर्शों के
पटना के रंगमंच पर ‘मेहमान’ की ‘दस्तक’
बदलाव प्रतिनिधि निर्मल वर्मा की कहानियों को मंच पर उतारना आसान नहीं है। मगर पटना के प्रेमचंद रंगशाला में निर्देशक