राजेश बादल पंजाब का लवली विश्वविद्यालय एक अदभुत संस्थान है । अड़तीस हज़ार देसी परदेसी छात्रों का भविष्य संवारने वाले
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प्रेस क्लब के नए अध्यक्ष खांटी पत्रकार उमाकांत लखेरा
राजेश बादल अरसे बाद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया को एक खांटी पेशेवर पत्रकार अध्यक्ष के रूप में मिला है ।
सत्ता जानती है पत्रकार की औकात क्या है ?
पुष्य मित्रपिछ्ले साल का वाकया है। एक बड़े मीडिया हाउस से मुझे फोन आया कि वे चाहते हैं कि मैं
क्यों विपक्ष और जनपक्ष हो जाना ही निष्पक्ष पत्रकारिता है?
पुष्यमित्रजब मैं लिखता हूं कि पत्रकार का काम शास्वत विपक्ष हो जाना है तो कई मित्र को आपत्ति होती है।
बदलते दौर में पत्रकारिता के चाल-चरित्र और चेहरे की झलक
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से साभार मेरा मानना है, किसी लेखक, बुद्धिजीवी, एकेडेमिक, सामाजिक या राजनीतिक कार्यकर्ता की
स्वतंत्र पत्रकारिता के नए प्रयोग पर निकल पड़ा है पथिक पुष्यमित्र
देश में चुनाव आने वाला है। सरकार अपना गुणगान करने में लगी है और विपक्ष सवाल उठाने में जुटा है
अखबार के जरिए यथार्थ से जुड़ना, एक मुगालता- आलोक श्रीवास्तव
पशुपति शर्मा पत्रकारिता में वैश्वीकरण के बाद एक नया बदलाव आया है। वो समाज के बड़े मुद्दों पर बात नहीं
मीडिया को फिर से पत्रकारिता बनाने की लड़ाई कलम के नाम उधार है
ब्रह्मानंद ठाकुर अपने देश के मीडिया जगत में इन दिनों जो घटनाएं घट रही हैं, वह आकस्मिक नहीं कही जा
घोंचू उवाच- जैसी बहे बयार ,पीठ तब तैसी दीजिए
ब्रह्मानंद ठाकुर घोंचू भाई खेती – पथारी का काम निबटा कर शाम होते ही मनकचोटन भाई के दरबाजे पर जुम
अतिवादों के दौर का जनक है पूजीवादी अर्थतंत्र-ब्रह्मानंद ठाकुर
ब्रह्मानंद ठाकुर विनय तरुण स्मृति व्याख्यान 2018 का विषय है- अतिवादों के दौर में पत्रकारिता और गांधीवाद। मैं यह स्पष्ट कर