रुपेश कुमार
सबसे छुपा कर
जतन से बचा कर
वो फटोना औ मिठाई
कोई
खिलाता भी नहीं !घर है सूना
दर है सूना
तुम नहीं हो तो
कोई
ज्यादा आता जाता नहीं !लोग लेते हैं
नाम तुम्हारा अदब से
जब भी
यकीन होता है कि
बस तन जाता है
नाम जाता नहीं !
सबसे छुपा कर
जतन से बचा कर
वो फटोना औ मिठाई
कोई
खिलाता भी नहीं !घर है सूना
दर है सूना
तुम नहीं हो तो
कोई
ज्यादा आता जाता नहीं !लोग लेते हैं
नाम तुम्हारा अदब से
जब भी
यकीन होता है कि
बस तन जाता है
नाम जाता नहीं !