रामविलास के गोद लिए गांव मलाही में क्या बदला?

रामविलास के गोद लिए गांव मलाही में क्या बदला?

मौजूदा एनडीए सरकार के 4 साल के कार्यकाल के दौरान ग्रामीण विकास को लेकर कई तरह के वादे किए गए, सपने बुए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने कई मंचों से गांवों को गोद लेने और वहां की ज़िंदगी संवारने की अपील की। टीम बदलाव की कोशिश रही है कि गांव की बदलती तस्वीर पर बातें हों, गांव से शहर का एक संवाद बने। इसी कड़ी में हम उन गांवों पर एक सीरीज शुरू कर रहे हैं, जिन्हें सांसदों ने गोद लिया। हम साथी पुष्यमित्र की ये रिपोर्ट आपसे साझा कर रहे हैं। पुष्यमित्र ने ये रिपोर्ट जून 2017 में लिखी थी, समय के इसी झरोखे से इसे देखें और समझें।

पुष्यमित्र, हाजीपुर

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दूसरा गांव तो गोद ले लिया है मगर पहले गांव वैशाली के भगवानपुर प्रखंड के अकबर मलाही की स्थिति ढाई साल बाद भी किसी कुपोषित बच्चे जैसी है. जर्जर सड़कें, कीचड़ और गंदगी, बंद पड़ा अस्पताल, शराबबंदी के बावजूद ताड़ी बेचने का खुला कारोबार, आजीविका के लिए तरसते लोग यही आदर्श ग्राम अकबर मलाही की पहचान है. कहते हैं, इस पंचायत से उन्हें लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मत प्राप्त हुए थे और यहां उनकी जाति पासवान की आबादी सर्वाधिक है, इसलिए उन्होंने इस गांव को गोद लिया था. मगर उस वक्त एक साल के अंदर जिन-जिन योजनाओं को धरातल पर लाने के वादे उन्होंने किये थे, उनमें से एक तिहाई भी साकार नहीं हो पाये हैं.

अकबर मलाही का रिपोर्ट कार्ड

  • बदहाल स्थिति में है केंद्रीय मंत्री द्वारा गोद लिया पहला गांव अकबर मलाही

  • न सड़कें बनीं, न अस्पताल को भवन मिला, न पूरे पंचायत को पीने का पानी

  •  लोन की आस तकते रह गये छड़ी उद्योग के कारीगर और फूल उगाने वाले किसान

  • ताड़ी पीकर उत्पात मचाने वालों से परेशान हैं गांव के लोग

  •  दलितों की बस्ती में दस फीसदी घरों में भी शौचालय नहीं है

  • 2017 के मार्च में महनार के अलीपुर हट्टा को गोद लिया है पासवान ने

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान

आदर्श गांव की हकीकत की पोल एनएच पर लगा इसका बोर्ड ही खोल देता है. ऐन बोर्ड के सामने की सड़क खस्ताहाल नजर आती है. आगे बढ़ने पर एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नजर आता है, जिसमें ताला बंद दिखता है. लोग बताते हैं कि एक माह से इस अस्पताल की यही हालत है. यहां दो चिकित्सकों की नियुक्ति थी, दोनों पति-पत्नी थे. एक माह पहले पत्नी की मृत्यु हो गयी, पति भी उसके बाद नहीं आये. अब न नर्स आती है और न ही कोई अन्य स्वास्थ्य कर्मी.

गांव में एक जगह खुलेआम ताड़ी बिकती नजर आती है, और लोग भी बेखौफ होकर ताड़ी पीते दिखते हैं. इन गुमटियों के पास में रहने वाले संजय इस मामले को लेकर थाने में एफआईआर करा चुके हैं कि यहां जुआ चलता है, और गांव और बाहर के लोग आकर गाली गलौज करते हैं. हंगामा करते हैं, जिससे लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. विरोध करने पर ये लोग जान से मारने की धमकी देते हैं. पुलिस पूछताछ करके चली गयी है, उसने संजय को ही एडजस्ट करके चलने की सलाह दे डाली है.

अकबर मलाही गांव में बढई जाति के कई परिवार हैं. संभवतः यह बिहार का इकलौता ऐसा गांव है, जहां ग्रामीण उद्योग के तौर पर लोग छड़ी बनाते हैं. यहां की बनी हुई छड़ी देश के कई इलाकों में जाती है. मगर संसाधनों के अभाव में ये लोग काम आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं. छड़ी उद्योग चलाने वाले अजय शर्मा कहते हैं कि गांव के 15 घरों में पिछले कई दशकों से यह उद्योग चल रहा है. तकरीबन 50 परिवारों की रोजी-रोटी इस कारोबार से चलती है. जब इस गांव को गोद लिया गया था तो पासवान जी ने वादा किया था कि सभी कारोबारियों का को-ऑपरेटिव बनाकर उन्हें लोन दिलाया जायेगा और एक सामूहिक आरा मिल की स्थापना भी की जायेगी. उस वक्त कुछ गतिविधियां जरूर हुईं, लोगों से फार्म पर साइन भी कराये गये. मगर इसका कोई नतीजा नहीं निकला. वही हाल फूल की खेती करने वाले किसानों का हुआ, उन्हें भी समूह बनाकर लोन दिलाने का वादा किया गया था, मगर उसका नतीजा भी सिफर रहा.

पंचायत में दो जले हुए ट्रांसफार्मरों को जरूर बदला गया, कुछ जर्जर तारों को भी बदला गया. पंचायत के एक गांव सेमोपुर में मिनी पाइप वाटर सप्लाई यूनिट की स्थापना भी हुई. मगर इससे सिर्फ उसी गांव के आधे निवासियों को भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो पाया. एक प्राथमिक विद्यालय का भवन बना. एक स्कूल में शिक्षक की तैनाती हुई. मगर ये सब छोटे-छोटे काम थे. लोगों को उम्मीद थी कि गांव की तमाम सड़कें चलने लायक हो जायेंगी, हर घर में पाइप वाला पानी पहुंचेगा. पंचायत के अस्पतालों को भवन मिलेगा और वहां काम शुरू होगा. लोगों को रोजगार के लिए लोन मिलेगा. गांव की तस्वीर बदल जायेगी. मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

सांसद महोदय का वादा और हकीकत

  1. चार महीने मेंस्वास्थ्य उपकेंद्र भवन.                                 शिलान्यास हुआ काम नहीं.
  2. एक साल मेंअतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र.                         काम नहीं हुआ.
  3. मिनी पाइप वाटर सप्लाई यूनिट.                            सिर्फ एक गांव की आधे लोगों को सुविधा.
  4. प्राथमिक विद्यालय,अकबरपुर मलाही का भवन.                              बन गया.
  5. नवसृजित प्राथमिक विद्यालय,पीरमलाही में एक शिक्षक की नियुक्ति.      हो गयी.
  6. सड़क – एनएच 77 से स्टेशन होते हुए भूपेन कपाड़िया के घर तक.           नहीं बनी.

     7. सड़क अम्बेडकर चौक से बिड़ई पंचायत के सीमा तक.                   नहीं बनी.

  1. दो ट्रांसफार्मर बदलना.                                           काम हो गया.
  2. क्षतिग्रस्त तार को बदलना.                                       काम आंशिक रूप से हुआ.
  3. छड़ी उद्योग और फूल की खेती करने वालों को ऋण उपलब्ध कराना.     सिर्फ फार्म भरवाये, काम नहीं हुआ.                                  (जून 2017 की रिपोर्ट, उसी संदर्भ में देखें)

लोजपा से जुड़े गांव के सामाजिक कार्यकर्ता जयप्रकाश नकुल 22 जून 2017 को अपनी फेसबुक वॉल पर गांव की बदहाल सड़क की तसवीर पोस्ट करते हुए सांसद आदर्श ग्राम योजना के औचित्य पर सवाल उठाते हैं. वे कहते हैं कि उन लोगों ने बड़ी उम्मीद से रामविलास पासवान से इस गांव को गोद लेने का अनुरोध किया था. पासवान जी अपने क्षेत्र के विकास के मामले में बेहतरीन ट्रैक रिकार्ड रखते हैं. उन्हें और गांव के लोगों को उम्मीद थी कि पासवान जी के साथ नाम जुड़ने की वजह से गांव की कई समस्याओं का समाधान हो जायेगा. केंद्रीय मंत्री की तरफ से भी उस वक्त सकारात्मक सहयोग मिला था. मगर आज ढाई साल (जून 2017 तक) बीत जाने के बावजूद इनमें से एक तिहाई काम भी जमीन पर ठीक से नही उतरा है.

सांसद आदर्श ग्राम योजना की मूल भावना थी कि इस योजना से गरीबी का उन्मूलन हो, सामाजिक न्याय और स्वच्छता की भावना स्थापित हो, लोगों को रोजगार मिले, और गांव का सर्वांगीन विकास हो. मगर हालात यह हैं कि दलित बहुल इस पंचायत में दलितों के पांच फीसदी घरों में भी शौचालय नहीं हैं. इस बात की पुष्टि मुखिया आमोद कुमार पासवान करते हैं. वे कहते हैं कि कुछ परिवारों ने प्रोत्साहन राशि के लालच में जरूर शौचालय बनवा लिये हैं. मगर उन्हें प्रोत्साहन राशि आजतक नहीं मिली. नतीजा आज भी ज्यादातर लोग खुले में शौच करते हैं.

इस बीच रामविलास पासवान द्वारा एक अन्य गांव महनार के अलीपुर हट्टा को गोद लेने की बात यहां पहुंच गयी है. इस बात से अकबर मलाही में निराशा का माहौल है. उन्हें लगने लगा है कि अब तक जो थोड़ा सा अटेंशन मंत्री महोदय का इस गांव के प्रति था वह भी नहीं रहेगा. (इनपुट- सराय से नवीन कुमार सिंह)


PUSHYA PROFILE-1पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।