अरुण यादव के फेसबुक वॉल से
टीवी की दुनिया में अमूमन बहुत कम ही लोग होते हैं जो अपने साथ दूसरों को खुश रखने में यकीन रखते हैं । जो काम के दबाव के बीच भी हंसने का बहाना तलाश लेता हो । वो अपनी छोटी-छोटी खुशियां सभी से साझा करता, लेकिन शायद अपने गम को ना तो किसी से बांटता और ना ही अपने चेहरे पर गम के भाव आने देता । हर किसी में अपनापन तलाशने वाला था राहुल । साल 2012 में मुंबई में tv9 में राहुल से मुलाकात हुई । एक हंसता खिलखिलाता चेहरा सामने आया, उसे देख ऐसा लगा जैसे बरसो का पुराना नाता हो । लेकिन आज 5 बरस बात अचानक राहुल की खुदकुशी की खबर ने दिल को झकझोर दिया । दूसरों को हंसाने वाला शख्स आज अपने चाहने वालों को रुला गया । आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जिसने उसे अपने अनमोल जीवन को खत्म करने जैसा कदम उठाना पड़ा । भले ही आज वो हमारे बीच नहीं है लेकिन दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी वो जिंदादिल शख्सियत । भगवान उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवार को इस सदमे से उबरने की ताकत दे ।
सत्येंद्र यादव के फेसबुक वॉल से
राहुल शुक्ला, tv9 Mumbai में साथ थे। Pradeep Dubey ने अभी बताया कि उन्होंने खुदकुशी कर ली है। Zee Business में कार्यरत थे। दुखद! श्रद्धांजलि! भगवान राहुल की आत्मा को शांति दे ।
शशि वर्धन के फेसबुक वॉल से
बड़ा ही अजीब लग रहा है। हंसता मुस्कुराता एक चेहरा अचानक बेजान हो गया और सिर्फ ठहरी हुई एक तस्वीर बन गया…। क्या हुआ होगा? क्या चल रहा होगा दिमाग में? क्या एक जिंदादिल शख्स किसी भी वजह से अपनी ज़िन्दगी खुद खत्म कर सकता है? राहुल ने खुदकुशी से पहले फेसबुक पर कई ऐसी कविताएं पोस्ट की जो उसके गहरे अवसाद में होने का भाव पेश करती हैं। राहुल ने चंद दिन पहले एक कविता लिखी जिसमे किसी परछाई का जिक्र है..वो परछाई आखिर क्या थी..
आखिर वो क्यों राहुल का पीछा कर रही थी। राहुल ने लिखा था-
ना जाने कहां से आती है।।
मैं रूकता हूं वो छिप जाती है।
मैं दौड़ता हूं वो दबे पांव फिर आती है।।
हर दिन छलती है, हर दिन हंसती है।
शाम होते ही छिप जाती है।।
किन तनावों में हम जी रहे हैं और किन तनावों में जाने-अनजाने में एक दूसरों को धकेल रहे है। सारे गिले-शिकवे, झगड़े-झंझट बेमानी फालतू हैं सब। किसी को क्या हक़ है कि वो किसी को इस हद तक अवसाद का शिकार बना दे…
हम में से कोई भी कितना भी ताकतवर क्यों न हो हम किसी को उसकी ज़िन्दगी वापस नहीं दे सकते। किसी को इस हद तक ले जाने वाला बहुत बड़ा गुनहगार है। राहुल शुक्ल से मेरी पहली मुलाकात मुंबई में हुई थी।बहुत ही जिंदादिल और मददगार व्यक्तित्व था आपका। कल रात 2.30 बजे अचानक आपके बारे में दुःखद खबर मिली। तब से सहम सा गया हूं।
RIP