पशुपति शर्मा
पुरैनी मेरा पुश्तैनी गांव। अब गांव आना-जाना कम ही होता है। बाप-दादा की पुश्तैनी संपत्ति अब वहां रही नहीं। पुरैनी बाजार में एक छोटा सा पुश्तैनी मार्केट पिताजी ने रेनोवेट कराया था, वो भी कुछ लोगों के दांव-पेच की वजह से कानूनी भंवर में फंस गया है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में लगातार ऐसी ख़बरें मिलती रहीं कि भूमाफिया का एक पूरा गैंग है, जो इस इलाके में एक्टिव है।नवरात्र के दौरान ही पुरैनी से एक सज्जन का फोन आया। पत्रकारों से समाज को थोड़ी-बहुत उम्मीद रहती है कि उनकी कलम चलने से दबाव बनेगा और एक्शन होगा। तो इस उम्मीद को जिंदा रखते हुए सबसे पहले इस हालिया घटना का जिक्र करता चलूं।
मधेपुरा जिले के पुरैनी थाना के अंतर्गत वार्ड नंबर 7 के निवासी हैं, नारायण कुमार सुल्तानिया। उन्होंने मधेपुरा के एसपी के पास जो शिकायती पत्र भेजा है, उसके मुताबिक 11 जून 2019 को कुछ दबंगों ने इन्हें अगवा कर लिया। इसके बाद एक घर में बंद कर मारपीट की गई और बंदूक के जोर पर इनकी संपत्ति अपने नाम करवा ली गई। इस पत्र में कई तारीखों का जिक्र है, जब इन दबंगों की दहशत में नारायण कुमार सुल्तानिया विक्रय पत्र पर हस्ताक्षर करते गए। भय और दहशत का आलम ये कि कागजी तौर पर दबंगों ने नारायण कुमार सुल्तानियों को करोड़ों का पेमेंट कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी बार-बार कैशलेस ट्रांजेक्शन की बात करते रहे हैं, लेकिन शायद ये ऐसे मामलों में लागू नहीं होता। जांचकर्ता अधिकारियों के लिए ये एक अहम प्रस्थान बिंदू हो सकता है। नारायण सुल्तानिया के दादा-परदादा सालों पहले राजस्थान से पुरैनी आए थे, बहरहाल वो तो इस इलाके के मूल बाशिंदे हैं और इसी मिट्टी-पानी में उनकी और उनके परिवार की सांसें बसती हैं।
दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित अखबार में 5 अक्टूबर 2019 को छपी खबर के मुताबिक घर, दुकान, 8 बीघा जमीन समेत नारायण कुमार सुल्तानिया की 5 करोड़ की संपत्ति जबरन लिखवा ली गई है। पुरैनी थाना में पीड़ित की शिकायत पर 11 आरोपियों के ख़िलाफ़ नामजद एफआईआर की गई है। पत्रकार साथी और केस में दिलचस्पी रखने वाले सुधीजन वहां से ब्योरा प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इस मामले में जन अधिकार पार्टी के एक प्रदेश स्तर के नेता का नाम भी आ रहा है, जो इसे एक राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।
मैंने जान-बूझकर इस पूरे ब्योरे में उन लोगों के नाम का जिक्र नहीं किया है, जो आरोपों के घेरे में है। गुनाह साबित करना पुलिस का काम है और सजा देना अदालत का काम। लेकिन एक नागरिक के तौर पर हमारा काम बस इतना है कि ऐसे अपराधों में हम अपना स्टैंड सबसे पहले चुनें। हम ये तय करें कि सही या ग़लत किस के साथ खड़ा होना है।
मां दुर्गा के इस उत्सव के दौरान अच्छाई की जीत और बुराई के अंत की जो महागाथा हमारे शास्त्रों में दर्ज है, उस पर अपना यकीन कुछ और मजबूत करें। आज नारायण सुल्तानिया हैं, कल कोई और होगा? आज आरोपों के घेरे में एक्स, वाई, जैड है… कल हमारे ही बीच का कोई और होगा। हमें बुरे लोगों से नहीं, उनके दिल में बसी बुराई से लड़ना है। ये लड़ाई कहीं ज्यादा लंबी है। घटनाओं पर फौरी प्रतिक्रिया से कोई बेहतर समाज नहीं बनता, बल्कि ऐसी घटनाओं से सबक लेकर एक संकल्प लेना होता है। संकल्प ये कि न तो हम किसी का बुरा करेंगे न किसी बुरा करने वाला का साथ देंगे।
बिहार के तमाम इलाकों में ज़मीन को लेकर चल रही आपराधिक साजिशों, खूनी संघर्षों और अदालती मुकदमों का अंत कोई भी व्यवस्था या तंत्र नहीं कर सकता। गांधी ने हिंद स्वराज में पुलिस और वकीलों की भूमिका को लेकर जो संदेह जारी किया था, उसे समझने में ग्रामीण समाज से भी बड़ी चूक हुई है। इस चूक को सुधारे बिना, दृश्य नहीं बदलेगा। सोचना तो होगा ही हम अपने लिए कैसा गांव, शहर और समाज बनाना चाहते हैं। आज सोचिए, मन से लालच, द्वेष और हिंसा के रावण को जला डालिए, कल आपके बच्चों को ‘रामराज’ का आनंद मिलेगा।
– पशुपति शर्मा, नवमी, 2019