नवनीत सिकेरा
परम पूज्यनीय कलाम साहब की पुण्य तिथि पर आयोजित Dr. A. P. J. Abdul Kalam Memorial International Youth Conclave में भाग लेने का अवसर मिला और भारत के बहुत से अनुकरणीय महानुभावों से मुलाकात हुई। सभी एक से बढ़कर एक थे। बहुत कुछ सीखने को मिला और तभी एक साइड में बैठे फौजी पर नजर गयी। मैंने उनके बारे में पता किया, उनका परिचय मिलते ही यकीन मानो 440 वोल्ट का करंट शरीर में दौड़ गया।
लपक कर गया और हम लोगों में कुछ ऐसी केमिस्ट्री बनी कि हाथ मिलाना भूल गए और एक दूसरे के गले लग गए और ऐसे मिले जैसे पुराने दोस्त हों । सच तो यह है ये हमारी पहली मुलाकात थी लेकिन भावनायें पुरानी थी जो अचानक सतह पर आ गईं। हम लोगों ने खूब बातें की और मैंने कहा मुझे आपके साथ सेल्फी लेनी है। बाद में वह 1090 आये और बड़े जोश से पूरे सिस्टम को देखा और कई महिलाओं / लड़कियों से फीडबैक लिया। जाते समय हम लोगों ने हाथ मिलाया लेकिन मज़ा नहीं आया फिर हम लोगों ने योद्धाओं की तरह हाथ मिलाया तो लगा हाँ अब कुछ ठीक हुआ।
मैं बात कर रहा हूँ परमवीर चक्र से सम्मानित कारगिल युद्ध के हीरो श्री योगेन्द्र सिंह यादव की। जिनके शरीर में दर्जनों गोलियाँ लगी लेकिन फिर भी रेंगते हुए टाइगर हिल पर चढ़ गए और अपने अन्य साथीयों के लिए रस्से नीचे डाल दिए। यह वीर उस प्लाटून का हिस्सा था जिसने स्वेच्छा से सबसे पहले टाइगर हिल पर चढ़ने का जिम्मा लिया था। दुश्मन पहले से ऊपर बैठा था और ये सीधे सीधे मौत को गले लगाने जैसा अभियान था। इसीलिए इस पलटन का नाम घातक पलटन रखा गया था । पाकिस्तान के एक सैनिक ने पहले से शहीद भारतीय जवानों को फिर से गोली मारी, इस वीर को भी गोली लगी और वह पाकिस्तानी इनको मरा समझ कर वापस जाने लगा तो इनके पास सिर्फ एक ग्रेनेड बचा रह गया था। बाकी हथियार तो पाकिस्तानियों ने उठा लिए थे। वीर ने लौटते हुए दुश्मन पर ग्रेनेड फेंका जो उसके पीठ पर लगे जाल में फँस गया। इससे पहले कि वह कुछ कर पता एक जोरदार धमाके ने उसके चीथड़े उड़ा दिए ।
16 महीने के लम्बे इलाज़ के बाद आज फिर से वतन पर फ़िदा होने का हौंसला लिए योगेन्द्र सिंह यादव हमारे साथ थे ।
नवनीत सिकेरा, IG, उत्तरप्रदेश वूमन पावर लाइन, लखनऊ। 1993 में रुड़की से IIT और 2011 में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से शिक्षा।