गांवों के स्याह अंधेरे में रौशनी की एक किरण है मुजफ्फरपुर की पैगम्बरपुर पंचायत। सकरा प्रखण्ड की यह पंचायत विकास की नई इबारत लिख रही है। इसके खाते में राष्ट्रीय और जिला स्तर पर कई उपलब्धियां दर्ज हो चुकी हैं। इस गांव में न जाति का कोई बंधन है और ना धर्म की कोई खाई। सभी एकजुट होकर विकास के पथ पर अग्रसर हैं। सूबे के सीएम नीतीश कुमार ने तो इस साल अप्रैल से पूर्ण शराबबंदी लागू की, लेकिन इस पंचायत में दो साल पहले से पूर्ण नशाबंदी है। बिना किसी दवाब के, स्वेच्छा से । खुले में शौच से मुक्ति, स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था, हर गली पक्का रास्ता, सड़क के दोनों किनारे वृक्षों की लम्बी कतारें, अस्पताल, पुस्तकालय, पशुचिकित्सालय, स्कूल, पंचायत सरकार की आलीशान इमारत, मनरेगा भवन, रोजगार भवन पैगम्बरपुर के विकास की गाथा बताने के लिए काफी हैं। साफ-सफाई ऐसी कि देखकर मन खुश हो जाए।
पंचायत की विकास यात्रा 2003 से शुरू होती है । पंचायत के मुखिया, सरपंच, पंच, वार्ड सदस्य सभी अपने पंचायत के विकास के प्रति जागरूक और तत्पर रहते हैं। 13 साल पहले तत्कालीन मुखिया रामविवेक सिंह की हत्या के बाद इन्द्रभूषण सिंह अशोक मुखिया चुने गए। वे लगातार तीन बार (पिछले चुनाव तक ) पैंगम्बरपुर के मुखिया रहे। 2011 के बाद यहाँ विकास ने जो रफ्तार पकड़ी, वो हर दिन तेज होती गई। पिछले चुनाव में इस पंचायत के मुखिया का पद आरक्षित हो जाने से अशोक भरथीपुर पंचायत के मुखिया बने और श्रीकांत पासवान पैंगम्बरपुर के मुखिया चुने गए। बावजूद इसके पूर्व मुखिया अपने पंचायत के साथ-साथ पैगम्बरपुर के विकास की गति बनाए रखने के लिए संकल्पित हैं। इस पंचायत में पैंगम्बरपुर, गनीयाही, मुरयारी और बखरी चार गावं है। तीन आलीशान प्रवेशद्वार पैंगबरपुर पंचायत में आपके स्वागत के लिए तैयार खड़े रहते हैं । पंचायत को कदाने नदी दो भागों में बांटती है। पहले इस नदी पर पुल नहीं रहने से किसानों को काफी परेशानी होती थी। लोग नाव या फिर चचरीपुल से काम चलाते थे। पिछले साल मुख्यमंत्री सेतु योजना से निर्मित पैगम्बरपुर पुल के चालू हो जाने से इस समस्या का समाधान हो गया ।
2011 की जनगणना के अनुसार पंचायत की कुल आबादी 10700 है। यहाँ पिछड़ी जाति की बहुलता है । पूर्व मुखिया इन्द्रभूषण सिंह बताते हैं कि यहां बीपीएल परिवारों की संख्या 1556 और एपीएल परिवार की संख्या 1060 है । सभी परिवारों को आज की तारीख में शौचालय की सुविधा उपलब्ध है जबकि 2015 से पहले यहां 316 परिवारों के पास ही अपना शौचालय था । पैगम्बरपुर पंचायत में हर घर जल की योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है । इसके लिए बोरिंग कराई जा रही है । फिलहाल सभी बीपीएल परिवारों को 150 फिट गहराई वाला चापाकल लगवाकर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया गया है ।
रोजगार भवन युवाओं को अपना कामकाज शुरू करने में मददगार साबित होता है। गांव में आपको टेलरिंग, ट्रंक-बक्सा निर्माण, तेगिया लहठी स्टोर, नीलू का नीलमणि कम्युनिकेशन सह श्रृंगार स्टोर, अवंतिका किराना, सिद्धार्थ मेडिसिन, रवि सेवा केंद्र नाम से तमाम दुकानें दिख जाएंगी, जो लोगों की जरूरतों को पूरा करने के साथ रोजगार के अवसर मुहैया कराती हैं। सभी बीपीएल परिवारों को जॉब कार्ड मिला हुआ है। उन्हें नियमित रूप से साल में सौ दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। यह जानकारी नन्हकू पाठक और साम मोहम्मद ने दी।
पंचायत में पर्यावरण का भी पूरा ख्याल रखा गया है। 50 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं जिनकी देखरेख पंचायत के लोग ही करते हैं। यही नहीं पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और पशु चिकित्सालय के लिए भी भवन उपलब्ध कराया गया है, जिसका लाभ गांव वालों को मिल रहा है। किसानों के लिए कदाने नदी से निकले दो राजकीय नलकूप बरदान साबित हो रहे हैं । विकास से जुड़ी इन्हीं उपलब्धियों के लिए साल 2013 में इस पंचायत को केंद्र सरकार की ओर से पंचायतीराज सशक्तिकरण और राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार मिल चुका है। खुले में शौच से मुक्ति के लिए यह पंचायत जिला स्तर पर इस वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर निर्मल ग्राम पुरस्कार से नवाजा गया । जब मैं पैगम्बरपुर पंचायत पहुंचा और वहां की हरियाली के साथ विकास की गति देखी तो बरबस ही एक पंक्ति याद आ गई … कौन कहता है आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो ।
ब्रह्मानंद ठाकुर/ बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के रहने वाले । पेशे से शिक्षक फिलहाल मई 2012 में सेवानिवृत्व हो चुके हैं, लेकिन पढ़ने-लिखने की ललक आज भी जागृत है । गांव में बदलाव पर गहरी पैठ रखते हैं और युवा पीढ़ी को गांव की विरासत से अवगत कराते रहते हैं।
This panchayat is best …..
Awesome
HUM IS GAON KE WASHI HAIN.
Mera gaon