बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर के आरडीएस कॉलेज प्रांगण में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर न्यास के तत्वावधान में स्वराज्य पर्व व गणपति महोत्सव मेला का भव्य आयोजन किया जाएगा । इस संदर्भ में महोत्सव के संयोजक साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने जानकारी दी। उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस दस दिवसीय कार्यक्रम में पूरे देश के अनेक कलाकार व मुख्य अतिथि उपस्थित रहेंगे । इस आयोजन का उद्देश्य लोगों को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के महत्व के प्रति जागरूक करना है। इसमें आधुनिक भारत के महान विचारक और स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की याद में गणपति उत्सव के पावन अवसर पर स्वराज्य पर्व का आयोजन किया गया है। डॉ पंकज ने बताया कि सनातन भारतीय ज्ञान विज्ञान शिक्षा साहित्य संस्कृति और साहित्य का बड़ा समागम होगा। यह पूर्वी भारत में होने वाला पहला सबसे बड़ा गणेश महोत्सव तथा स्वराज्य पर्व है। 10 दिवसीय समारोह 19 से 28 सितंबर तक चलेगा । 17 सितंबर को कलश यात्रा होगी। जिसमें कोई भी महिला व लड़कियां शामिल हो सकती हैं । कलश यात्रा में शामिल होने के लिए संपर्क सूत्र 7050110001 जारी किया गया है। प्रेस वार्ता के दौरान आयोजन समिति के सह संयोजक अविनाश तिरंगा उर्फ ऑक्सीजन बाबा, स्वागताध्यक्ष रघुनंदन प्रसाद सिंह उर्फ अमर बाबू, सुगंध कुमार, आचार्य डॉ रंजीत नारायण तिवारी, अखिलेश चन्द्र राय, सुनील गुप्ता, अनिल विद्रोही,अमित कुमार, सकलदेव पासवान, सियाराम तिवारी, गणेश प्रसाद सिंह समेत दर्जनों लोग उपस्थित रहे ।
इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर की नृत्यांगना डॉ. पूनम शर्मा का आना सुनिश्चित हुआ है । कार्यक्रम महोत्सव के उद्घाटन में 19 सितंबर को गीता श्लोक पर उनकी 21 सदस्यीय टीम के द्वारा अतुलनीय नृत्य प्रदर्शन किया जाएगा । वहीं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी व पंजाब में पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के साथ ही अपने-अपने क्षेत्र के सौ से ज्यादा दिग्गज कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। दिनकर जयंती की पूर्व संध्या पर 22 सितम्बर को राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और 23 को दिनकर संवाद के साथ ही रात्रि में रश्मिरथी का मंचन प्रस्तुत किया जाएगा। प्रसिद्ध रंगकर्मी मुजीब खान (मुंबई) के निर्देशन में प्रेमचंद की कथा कृतियों के साथ अन्य नाटकों की प्रस्तुति होगी जिसमें विवेकानंद, लोकमान्य तिलक, भगत सिंह, कफन, गबरघिचोर आदि महत्वपूर्ण है।
गणेश महोत्सव परिसर में राष्ट्रीय पुस्तक मेला भी लगेगा जिसमें देश के दर्जनों बड़े प्रकाशको की सहभागिता होगी।
आयोजन लोकमान्य तिलक की याद में किया गया है, जिन्होंने गणपति उत्सव को एकता और सामाजिक समरसता के प्रतीक के रूप में शुरू किया था। उनका मानना था कि भारतीय समाज को एक मजबूत एकता की आवश्यकता है और इसके लिए सभी वर्गों को समानता के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने स्वराज्य, एकता, और समरसता के महत्व को प्रतिपादित किया और पूरे देश को स्वाधीनता के लिए जागरूक किया।
विदित हो कि अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध खुदीराम बोस के बम धमाके का लोकमान्य तिलक ने समर्थन किया था और केसरी में लेख लिखा था जिस कारण उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चला और काला पानी की सजा मिली। 6 वर्ष मांडले जेल में रहते हुए उन्होंने गीता रहस्य जैसे कर्मयोग के ग्रंथ का सृजन किया।