किसानों और सरकारों का रिश्ता अजीब सा रहा है। सरकारें योजनाएं बनाती हैं, खूब पैसा बहाती हैं, लेकिन न जाने क्यों फिर भी किसानों के खेत सूखे रह जाते हैं। वहां उम्मीदें लहलहाती नहीं। किसानों की सेहत और सूरत बदलने के तमाम दावे, तमाम कवायदें बेनतीजा रहीं हैं। इन सबके बीच मध्य प्रदेश के हरदा में किसानों की ‘भूमिका’ किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं है। आलम ये है कि फसल बाद में बोई जाती है उसका बाज़ार पहले तलाश लिया जाता है।
हम बात कर रहे हैं जैविक और टेक्निकल खेती करने वाली भूमिका कलम की, जो एक दशक तक पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रियता के बाद अब खेतों में ‘सोना’ उगा रही हैं। खुद खेती कर रही हैं और दूसरे किसानों को भी जागरुक और आत्मनिर्भर बना रही हैं। बेहद कम वक़्त में कृषि क्षेत्र में नई पहल के लिए भूमिका ने कई सम्मान हासिल किए। आखिर भूमिका कलम कैसे पत्रकार से किसान बनी और उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । इन सब पहलुओं पर बदलाव के साथी अरुण प्रकाश से बातचीत में भूमिका कलम ने खुलकर अपने खयाल साझा किए ।
बदलाव– आप एक तेज तर्रार पत्रकार रहीं हैं फिर अचानक खेती करने का मन कैसे बना ।
भूमिका- किसान बनने के पीछे पत्रकारिता का काफी योगदान रहा । दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में काम करने के दौरान मैंने किसानों पर काफी काम किया। किसानों से मिलीं उनकी समस्याओं को जाना और समझा । इस दौरान मुझे कृषि वैज्ञानिकों से मिलने का भी सौभाग्य मिला। लिहाजा, जब मैंने नौकरी छोड़ खेती करने का फ़ैसला किया तो मुझे अपने पुराने अनुभव काफी काम आए।
बदलाव- आप किस तरह की खेती करती हैं और उसके क्या फायदे हैं ?
भूमिका- मेरा जैविक और टेक्निकल खेती पर ज्यादा जोर रहता है । मसलन सोयाबीन, हल्दी, तुलसी, बांस, अरहर इस तरह की तमाम फसलें हैं, जिस पर काम किया जा रहा है। सबसे पहले मैंने सोयाबीन की खेती की। खराब मौसम के बाद भी अच्छी पैदावर हुई। बांस और हल्ली की खेती तो ऐसी है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं। हमारे जिले के डीएम को भी जब इस बारे में पता चला तो, वो भी देखने आए और उन्होंने दूसरे किसानों को फायदा पहुंचाने की बात कही। अभी मैं तुलसी लगाने को लेकर काम कर रही हूं। बीज डाल दिए गए हैं, जल्द ही रोपाई का काम शुरू होगा।
बदलाव- ये सब ऐसी फसलें हैं जिसको मार्केट में बेचना किसी चुनौती से कम नहीं, इसके लिए आप क्या करती हैं ?
भूमिका- यहां मेरा पत्रकारिता का अनुभव काफी काम आता है। अमूमन लोग एक दूसरे की देखा-देखी फसलें लगाते हैं लेकिन मैं ऐसा नहीं करती। कोई भी फ़सल बोने से पहले मैं उस पर रिसर्च करती हूं, फिर बाज़ार की तलाश। तब जाकर खेत में बीज डालती हूं, ताकि नुकसान की कोई गुंजाइश ना रहे।
बदलाव- मतलब, जरा विस्तार से समझाएंगी ?
भूमिका– उदाहरण के रूप में सोयाबीन की खेती को ले लीजिए। जब मैंने खेती की शुरुआत की तो सबसे पहले 6 एकड़ में सोयाबीन बोया। खराब मौसम के बावजूद करीब 36 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार हुई। मैंने उसे बेचने की बजाय स्टोर में रखा, क्योंकि पहले ही मैंने काफी रिसर्च कर लिया था कि फायदा किसमें ज्यादा होगा। इसके अलावा जो भी फसल लगाती हूं, उसके लिए पहले बाज़ार में ग्राहक खोज लेती हूं। कई बार तो बाकायदा एग्रीमेंट तक कर लिया जाता है तब जाकर फसल की बुआई की जाती है ताकि नुकसान न उठाना पड़े ।
बदलाव- दूसरे किसानों के लिए भी कोई योजना बनाती हैं या फिर सिर्फ अपनी खेती पर ध्यान दे रही हैं ?
भूमिका- बिल्कुल, हमने हरदा में किसानों का एक संगठन बनाया है। जो एक साथ मिलकर काम करता है। बाज़ार में किस सामान की कब जरूरत है, उसके आधार पर फसल बुआई की रणनीति बनाई जाती है। मार्केट एक्सपर्ट की राय ली जाती है, बाज़ार के मुताबिक अलग-अलग किसान फसल उगाते हैं। इससे एक जैसी फसलों की बजाय बाजार में अलग-अलग फ़सलें मौजूद रहती हैं, जिसका फायदा किसानों को ही मिलता है।
बदलाव- हरदा से बाहर के किसानों के लिए कोई टिप्स देना चाहेंगी ?
भूमिका- हमारी कोशिश है कि हम जो कुछ अच्छा कर रहे हैं, उसका फायदा देश के दूसरे राज्यों और गांवों के किसान उठाएं। इसके लिए हम जल्द ही दूसरे राज्यों के किसानों से संपर्क करेंगे। बदलाव के पाठकों में भी अगर कोई खेती करना चाहता हो, वो हमसे जुड़ सकता है। हम उसकी पूरी मदद करेंगे ।
बदलाव- आपके पास कुल कितनी खेती योग्य जमीन है ?
भूमिका- वैसे तो 15 एकड़ में फसलें उगाती हूं, लेकिन पहले सभी जमीन उपजाऊ नहीं थी। पिछले दो साल से मैं इस दिशा में काम कर रही थी। लिहाजा कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से हमने कम उपजाऊ जमीनों को शोधित किया और आज उस पर भी हरी-भरी फसलें लहलहा रही हैं।
बदलाव- एक आखिरी सवाल, खेती की प्रेरणा कहां से मिली ?
भूमिका- इसकी प्रेरणा मुझे अपने पिताजी से मिली । हालांकि पिताजी के साथ ज्यादा वक़्त गुजारने का सौभाग्य नहीं रहा, लेकिन जितना भी वक़्त वो हमारे साथ रहे, उनसे बहुत कुछ सीखा। वो सिंचाई विभाग में इंजीनियर के पद पर रहते हुए भी खेती के काम में हाथ बंटाते थे। वो हमेशा कहा करते थे, ‘बेटा चाहे जितना भी पढ़ लिख लो, जो भी काम कर लो लेकिन कभी अपनी जमीन को मत भूलना और खेती को तो कतई नहीं, क्योंकि यही हमारी अन्नदाता है’। लिहाजा आज मैं उन्हीं के सपने को साकार करने में जुटी हूं।
बदलाव- आपने एक संघर्षपूर्ण और सराहनीय काम की शुरुआत की है । इसके लिए आपकी जितनी भी तारीफ हो कम है । उम्मीद है देश के किसान आपसे प्रेरणा लेकर बदलाव की दिशा में नए कदम जरूर उठाएंगे ।
भूमिका- शुक्रिया।
अरुण प्रकाश। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय।
प्रिय भूमिका।
मैं एक दोस्त के माध्यम से मिला था।शायद 2005-06 के आसपास। तभी से जुड़े रहे। भूमिका ने न केवल पत्रकारिता बल्कि जीवन में कई बार उतार चढ़ाव देखे।
पर मौके पर वह अडीक और मजूबत नज़र आई।ये बदलाव सकारत्मक दिखा उसमें हमेशा।
अब फिर एक और बदलाव।क्या बात है।मुझ से मिलने आई।चेहरे पर तेज़ और आत्मविश्वास से लबरेज़।
बात का वही अंदाज़।जब तक पूरी न हो वह चुप न हो।बहुत खूब।बधाई।शुभकामनाएं इस बदलाव के लिए भी।
Dhanyawad
अब आप एक अनुभवी किसान हो गई.
नये किसानों को आप से सिख लेनी चाहिये.
आपके इस प्रयास को सलाम.
apko bhi salam
Ye ak aaschryjank badlav ki suruaat hai
भूमिका, जुझारू और लगनशील पत्रकार तो रही हैं ही, लेकिन धुन की भी पक्की| जब वो पत्रिका में “अन्नदाता” पेज निकाल रही थीं, तभी से यह समझ में आने लगा था कि ये क्या करने जा रही हैं| अब तो यह स्पष्ट ही हो गया है कि वो क्या कर रही हैं| भूमिका, तुम्हे शुभकामनायें| भूमिका आपने जो दूसरा बीड़ा उठाया है, वह बहुत ही जरुरी है, किसानों को संगठित करने का| तुमसे बात भी हुई थी, सूचना के अधिकार पर साथियों के बीच बात रखने के लिए…..| इससे पहले कि तुम जनसुनवाई की तारीख घोषित करो, यह याद रखना कि मेरा नंबर 0755- 4275405 भी है और जिससे मैंने कई फोन किये उन दिनों, लेकिन तुमसे बात नहीं हो पाई| बहरहाल, अभी भी जब कभी लगे तो बता देना, हाजिर हो जायेंगे|
तुम्हारा ही
पी के
Somnath Arya -Great Bhoomika Kalam mam great
Raju Kumar -Bahut badhiya
Santosh Tiwari -बहुत उम्दा…
दिलीप गुप्ता -अच्छी जानकारी भूमिका जी
Nikita Chourey -Superb
Bahut bahut shubkamnayen…apke is sarahniy kadam k liye…pure harda jile ko garv he ap pr mem….shuruaat hamare se hi hoti…
Bahut bahut badhai ke patra hai aap
Di you are the best and ideal person for me you are very special and awesome person in my life. Start by doing what’s necessary; then do what’s possible; and suddenly you are doing the impossible.No matter what people tell you, words and ideas can change the world…../Kamlesh