किशनगंज के वर्दी वाले कोरोना वॉरियर्स से लव न करें तो क्या करें?

किशनगंज के वर्दी वाले कोरोना वॉरियर्स से लव न करें तो क्या करें?

किशनगंज

पूरा देश कोरोना संकट का सामना कर रहा है। हम घर में रहकर देश के लिए अपना योगदान दे रहे हैं तो वहीं डॉक्टर्स और पुलिस अधिकारी फ्रंट लाइन में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सच कहें तो सबसे ज्यादा खतरे की जद में ऐसे ही कोरोना वॉरियर्स हैं। लॉकडाउन का एक महीना होने को है, ऐसे में पुलिसवालों को हर दिन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है । हमारे कोरोना वारियर्स के सामने क्या चुनौतियां हैं और जनता से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं ये सब भी जानना जरूरी है। ऐसे ही कोरोना वॉरियर्स में एक नाम है बिहार के किशनगंज के एसपी कुमार आशीष का। कुमार आशीष ने कभी ‘लव योर पुलिस’ नाम से मुहिम चलाई तो कभी ‘कॉफी विद एसपी’ के जरिए जनता से सीधा संवाद किया। एक संवेदनशील अधिकारी के तौर पर जो रिश्ता आम लोगों से आपने कायम किया, उसी की बदौलत कोरोना काल में वो लोगों को लॉकडाउन की अहमियत समझाने में कामयाब रहें, उसका पालन कराने में सक्षम रहे हैं। संकट की इस घड़ी में कुमार आशीष की अगुवाई में किशनगंज पुलिस ना सिर्फ लॉकडाउन का पालन करवा रही है बल्कि एक इंसान भी भूखा ना सोए, इसके लिए ‘पुलिस रसोई’ भी चला रही है। गरीबों को खाना और दवा भी पहुंचाने का काम कर रही है। टीम बदलाव के साथी अरुण यादव ने कोरोना वॉरियर के तौर पर कुमार आशीष से खास बातचीत की।

बदलाव-  सबसे पहले आप जैसे कोरोना वारियर को टीम बदलाव की ओर से सलाम। आप लोग संकट की इस घड़ी में कैसे लड़ रहे हैं ?

कुमार आशीष- सच कहूं तो जनता की मुश्किल देखकर हम लोग अपना दर्द भूल गए हैं। लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में गरीबों और मजदूरों की हालत देखकर ऐसा लगा जैसे कोरोना इन्हें तो बाद में अपना शिकार बनाएगा लेकिन उससे पहले कहीं ये लोग भूख से ना मर जाएं। लिहाजा, हम लोगों ने लॉकडाउन का पालन कराने के साथ साथ जनता को खाना और राशन मुहैया कराने का फैसला किया। आज हम हजारों लोगों को हर रोज खाना खिला रहे हैं और राशन पहुंचा रहे हैं ।

बदलाव- जिन पुलिसवालों के हाथ में लाठी-डंडा, बंदूक हुआ करती थी आज चिमटा और कलछी नजर आ रही है ?

कुमार आशीष- देखिए हम पुलिसकर्मी होने से पहले एक इंसान हैं और मेरा मानना है कि हर पुलिसवाले को बाहर से जितना कठोर दिखना चाहिए अंदर से उतना ही संवेदनशील रहना चाहिए। यही वजह है कि जब हम लोगों ने गरीब और मजदूरों को भूखा देखा तो ‘पुलिस रसोई’ शुरू करने का ख्याल आया। इस काम में हमारे जिले की पूरी टीम दिन रात जुटी है। जब हमने अपने साथियों के साथ रसोई का प्रस्ताव रखा तो सभी ने खुशी-खुशी सहमति जताई और आज हम जनता की सुरक्षा के साथ उनकी भूख मिटाने का भी काम कर पा रहे हैं।

बदलाव- इसके लिए काफी पैसा खर्च हो रहा होगा, फंड कहां से आ रहा है ?

कुमार आशीष- जब आपके भीतर जनता की सेवा की भावना हो तो हर मुश्किल का हल निकल जाता है। ग्राउंड पर जब हम लोगों ने देखा कि लोगों को तत्काल मदद की जरूरत है तो हम लोगों ने चंदा जुटाने का फैसला किया और बहुत जल्द ही पुलिसवालों ने खुद के डोनेशन से तीन-4 लाख रुपए एकत्र कर लिए और शुरू हो गई पुलिस रसोई। एक बात और हम लोगों ने जब देखा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो खाना घर पर बना सकते हैं लेकिन उनके पास राशन नहीं है तो ऐसे लोगों को चिह्नित कर हम लोगों ने राशन भी पहुंचाने का काम शुरू किया। आज करीब एक हजार से ज्यादा परिवारों को राशन बांटा जा चुका है ।

बदलाव- मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ा है कि आपने कोई एंबुलेंस सेवा भी शुरू की है, क्या स्वास्थ्य विभाग एंबुलेंस मुहैया नहीं करा पा रहा ?

कुमार आशीष- संकट काफी बड़ा है, ऐसे में हम ये नहीं सोच सकते कि कौन सा काम किसका है, लिहाजा जब मेरे पास जरूरतमंदों के लगातार फोन आने लगे कि वो बीमार हैं एंबुलेंस नहीं मिल रही। पैसा नहीं है प्राइवेट एंबुलेंस नहीं कर सकते। मुझे लगा कि जब हमारी टीम लोगों का पेट भरने की कोशिश कर रही है तो उनके इलाज में भी जितनी हो सके मदद करनी चाहिए । लिहाजा जो फंड हम लोगों ने जुटाया था उसी से अपने तीनों जोन में एक-एक एंबुलेंस किराए पर लेकर भेजने का फैसला किया, जो पूरी तरह नि:शुक्ल है। फिलहाल ये इंतजाम लॉकडाउन तक के लिए किया गया है अगर लॉकडाउन बढ़ता है तो हम भी उसे आगे जारी रखने पर विचार करेंगे ।

बदलाव- ऐसा कोई खास वाकया जिसने आपको बीमार मरीजों की सेवा के लिए प्रेरित किया?

कुमार आशीष- हां जहां तक मुझे याद है करीब 15-20 दिन पहले एक कैंसर पेसेंट का फोन आया कि उसे महावीर कैंसर हॉस्पिटल से दवा मंगानी है। हम लोगों ने पहले तो उसे दवा मुहैया कराई लेकिन बाद में पता चला कि उस मरीज की हालत ठीक नहीं है उसे कीमोथैरिपी के लिए ले जाना है और एंबुलेंस की जरूरत है। हमलोगों ने एक एंबुलेंस किराए पर ली और उसे भिजवाया और उसे इलाज के लिए करीब 12 हजार रुपये भी दिए। इसके बाद जिले के अलग-अलग हिस्सों से हमारे पास फोन आने लगा कि साहब हम गरीब हैं इलाज के लिए जाना है एंबुलेंस नहीं मिल रही। हमने अपने तीनों जोन में एक एक एंबुलेंस किराये पर लेकर भेज दिया ।

बदलाव- हमने ऐसी भी तस्वीरें देखी है कि कुछ महिला पुलिसकर्मी ब्लड डोनेट करती नजर आईं ।

कुमार आशीष- दरअसल किशनगंज के बहादुरगंज के रहने वाले नरेश नाम के शख्स ने मुझे फोन किया और बताया कि उनकी 4 साल की बेटी एनीमिया से पीड़ित है और वो सदर हॉस्पिटल में भर्ती है । डॉक्टर ने खून चढ़ाने को कहा है लेकिन A पॉजिटिव ब्लड ग्रुप होने की वजह से कहीं मिल नहीं रहा अगर आप कुछ मदद कर सकें तो मेहरबानी होगी। ऐसे में जब हमने अपनी टीम को सक्रिय किया तो पता चला कि बहादुरगंज थाने में तैनात पूनम कुमारी का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है। जब पूनम से बच्चे की हालत के बारे में बताया तो पूनम तुरंत ब्लड डोनेशन के लिए तैयार हो गईं और आज बच्ची सुरक्षित है ।

बदलाव- पुलिसवाले लगातार कई दिनों से लोगों के बीच काम कर रहे हैं। ऐसे में उनको भी कोरोना संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। पुलिसवालों की सुरक्षा के लिए क्या आपने कोई कदम उठाया है ?

कुमार आशीष- आप बिल्कुल सही कह रहे हैं, हम पुलिस वालों के सामने ये एक बड़ा संकट है और जब आप सोशली इन्वाल्व हों तो खतरा और बढ़ जाता है। देश में पीपीई की कमी की वजह से हमारे डॉक्टर्स तक को अच्छी तरह ये किट नहीं मिल पा रहे तो पुलिस विभाग तक इसकी पहुंच एक बड़ी चुनौती तो है ही। मैंने इसका दूसरा उपाय निकाला और पुलिसवाले के लिए रेनकोट, ग्लब्स और बाल कवर करने का इंतजाम किया। साथ ही पुलिसवालों को भी सैनिटाइजर के साथ-साथ कोरोना से बचाव के दूसरे उपायों को लेकर ट्रेनिंग दी गई । पुलिस क्वार्टर में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन हो रहा है। हम लोगों ने पुलिसवालों के लिए करीब 50 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनवा रखा है। ये इंतजाम उन लोगों के लिए किया गया जो लॉकडाउन से पहले छुट्टी पर गए थे लेकिन लॉकडाउन के दौरान वो ड्यूटी पर लौटे आए हैं तो उनको पहले आइसोलेट किया गया।

बदलाव- आपका सपना रहा है लव योर पुलिस, आज लोग सबसे ज्यादा भरोसा पुलिस पर कर रहे हैं। ऐसे में आप कैसा महसूस कर रहे हैं ?

कुमार आशीष- हालांकि ये वक्त अच्छा नहीं है, लेकिन ये मुश्किल वक्त भी कट जाएगा। जब आप संकट में किसी का साथ देते हैं तो वो आपको हमेशा याद रखता है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है हालात सुधरने के बाद भी लोग पुलिस पर भरोसा बनाए रखेंगे। हालांकि यहां पुलिस को भी इस भरोसे को कायम रखने की पूरी जिम्मेदारी रहेगी। आज अगर किशनगंज के बाहर से भी लोग मदद के लिए मेरे पास फोन कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि जब आप उनके दर्द को सुनते हैं और समझते हैं तो लोग आपसे जुड़ने लगते हैं।

बदलाव- लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के पलायन की दर्द भरी तस्वीरें आईं। ऐसे मजबूर लोग कई बार पुलिसकर्मियों पर ही अपनी झुंझलाहट निकाल बैठते हैं, तब पुलिसवाले कैसे संयम दिखाएं?

कुमार आशीष- ऐसा ही एक वाकया आप से शेयर करता हूं। बिहार के नवादा के कुछ मजदूर गुजरात के सूरत में फंसे हुए थे। उनमें से किसी एक ने मुझे सूरत से फोन किया और गुस्से में बहुत अनाप-शनाप बोला लेकिन मैं धैर्यपूर्वक उसकी बात सुनता रहा और फिर जब मैंने उसके गुस्से की वजह पूछी तो वो रोने लगा और बताया कि वो लोग सूरत में फंसे हैं और कुछ दिन से खाना भी नहीं खाये हैं। लिहाजा मैंने सूरत जिला प्रशासन से बात की और उन लोगों तक मदद पहुंचाई गई। इसी तरह सीतामढ़ी के कुछ लोग दिल्ली में फंसे हुए थे। मैंने पहले उनको बिहार और दिल्ली के कुछ अधिकारियों का नंबर दिया और उनसे बात करने के लिए कहा लेकिन उनका कहना था कि कोई रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा लिहाजा मैंने खुद अधिकारियों से संपर्क किया और उन लोगों तक मदद पहुंच सकी। लोगों की गाली भी इस वक्त में अपनेपन का एहसास करा जाती है और मैं मुसीबत में फंसे लोगों की बातें इसी अपनत्व से आत्मसात करता हूं।

बदलाव- आपको क्या लगता है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाना चाहिए ?

लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए पुलिस की ओर से पहुंचाया जाने वाला राशन

कुमार आशीष- देखिए मजदूरों को लाना या ना लाना ये पॉलिसी मेकर्स को तय करना है। उसमें काफी मुश्किलें हैं, लेकिन हां मजदूरों को उनके हाल पर भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए । मुझे लगता है कि उनको वापस लाने की बजाय वो जहां हैं उनको सुविधाएं पहुंचाई जाएं। मजदूरों को ये भरोसा दिलाना होगा कि हम उनतक सभी सुविधाएं पहुंचाएंगे और इसमें काफी तेजी लानी होगी।

बदलाव- किशनगंज मुस्लिम बहुल इलाका है, एक आम धारणा बन गई है कि देश में जमातियों की वजह से कोरोना फैला, क्या आपके यहां जमाती नहीं गए थे ?

कुमार आशीष- देखिए वैसे तो मैं इस मुद्दे पर कोई खास टिप्पणी करना नहीं चाहता, लेकिन मेरा मानना ये है कि कोरोना को धार्मिक नजरिए से देखना गलत है। हमें ये देखना चाहिए कि हमसे चूक कहां हुई। ये बीमारी हिंदुस्तान के बाहर से आई है तो जाहिर है एयरपोर्ट के रास्ते देश में दाखिल हुई। फिर हम किसी खास तबके को जिम्मेदार कैसे ठहरा सकते हैं।

बदलाव- देश के कुछ राज्यों से ख़बर आई कि जमात से जुड़े लोगों ने पुलिस टीम पर हमला किया और सहयोग नहीं कर रहे हैं, क्या आपको ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है ?

कुमार आशीष- मुझे नहीं मालूम दूसरे राज्यों या फिर जिलों में किसने और क्यों पुलिस टीम पर हमला किया, लेकिन इतना जरूर है कि मेरे जिले में हर किसी ने पुलिस का साथ दिया, चाहे वो जमात से लौटे लोग हों या फिर किसी दूसरे राज्य से आए मजदूर। हमारी टीम जिस इलाके में भी गई सभी लोगों ने सपोर्ट किया। कुछ इलाकों में तो लोगों ने पुलिसवालों पर फूल बरसाए। ऐसा नहीं है कि ये सब किसी खास धर्म के लोगों ने किया बल्कि हर धर्म के लोग पुलिस की मदद के लिए सामने आए। इस वक्त हर किसी को संवेदनशील बनने की जरूरत है।

बदलाव- आपके यहां कोरोना टेस्ट को लेकर क्या हो रहा है, क्या रेंडमली टेस्ट कराया गया ?

कुमार आशीष- देखिए अभी तक इस तरह की कोई शुरुआत तो नजर नहीं आ रही हालांकि जिनमें कुछ लक्षण दिखे या फिर जो बाहर से आए या फिर विदेशी सैलानी थे उनका टेस्ट जरूर हुआ है, और सभी टेस्ट निगेटिव पाए गए । आज भी करीब 3 हजार लोग क्वारंटीन में रखे गए हैं । अब तक जितनी भी रिपोर्ट आई है सब निगेटिव आई है ।

बदलाव- लॉकडाउन का पालन कैसे करवा रहे हैं, उसमें क्या मुश्किल आ रही है ?

कुमार आशीष- लॉकडाउन किशनगंज में लगभग पूरी तरह सफल रहा है। अगर कोई नियम तोड़ रहा है तो उससे सख्ती से निपटा जा रहा है, लेकिन अगर कोई मजबूरी में ऐसा कर रहा है तो उसको पूरी संवेदना के साथ डील किया जा रहा है । खासकर ग्रामीण इलाकों में कुछ हद तक छूट दी गई है हालांकि शहरी इलाकों में उतनी ही सख्ती बरती जा रही है ।

बदलाव- सोशल मीडिया पर कई बार अफवाह की वजह से भी लोग लॉकडाउन तोड़ते नजर आते हैं, उससे आप कैसे निपट रहे हैं ?

कुमार आशीष- सोशल मीडिया पर निगरानी के लिए हम लोगों ने साइबर सेनानी नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा है, जिसमें जिले से हर तबके के लोग जुड़े हुए हैं। अगर सोशल मीडिया पर इस तरह की कोई हलचल होती है तो साइबर सेनानी उस मैसेज को हमतक पहुंचाते हैं और वक्त रहते हम लोग उसपर कार्रवाई करते हैं । इसके अलावा हम लोगों ने सोशल मीडिया पर एडमिन लॉक लगवा रखा है ताकि कोई भी ग्रुप में मैसेज ना भेज सके और अगर एडमिन ने कुछ शेयर किया है तो उसतक पहुंच आसानी से पुलिस बना सके ।

बदलाव- लॉकडाउन के दौरान सामान्य अपराध का ग्राफ तो कम हुआ होगा लेकिन क्या इसका असर रूटीन जांच पर भी पड़ा है ?

कुमार आशीष- देखिए इसमें कोई संदेह नहीं कि अपराध में कमी आई है और रूटीन जांच भी प्रभावित हुई है, लेकिन डोमेस्टिक वायलेंस जैसे मामलों की जांच आज भी हमलोग उसी गति से कर रहे हैं ।

बदलाव- जेल में बड़ी संख्या में कैदी होंगे, उनकी निगरानी कैसी की जा रही है?

कुमार आशीष- हमारे यहां जेलों में ओवर क्राउड नहीं है इसलिए थोड़ी राहत है। फिर भी जिलाधिकारी और जिला जज के साथ मिलकर हम लोग लगातार कोशिश करते हैं कि जो गंभीर अपराध के मामले ना हों उनमें जमानत जल्द से जल्द दे दी जाए जिससे जेल में भीड़ इस वक्त ना बढ़े।

बदलाव- संकट के इस दौर में स्थानीय मीडिया और राष्ट्रीय मीडिया की भूमिका से आप कितने संतुष्ट हैं ?

कुमार आशीष- सच कहूं तो राष्ट्रीय मीडिया से ज्यादा अच्छा काम स्थानीय मीडिया कर रहा है । मीडिया का काम ख़बरें दिखाना होना चाहिए। अगर आप एनॉलिसिस कर भी रहे हैं तो उसमें अपने विचार दर्शकों और पाठकों पर थोंपने की कोशिश बिल्कुल ना करें । क्योंकि आपकी एक छोटी सी गलती समाज में कितना गलत प्रभाव छोड़ रही है, इसका आकलन करने में कई बार बड़े दिग्गज बड़ी चूक कर जाते हैं। अगर एहसास है और आप सबकुछ जानबूझकर कर रहे हैं तो इससे बड़ा अपराध कुछ नहीं । बिना स्वस्थ मीडिया के बेहतर लोकतंत्र हम नहीं बना सकते ।

बदलाव- आप संकट की इस घड़ी में पुलिस और परिवार को कैसे मैनेज कर रहे हैं ?

कुमार आशीष- देखिए मैं भी अपने पुलिसकर्मियों की तरह ही कोरोना से बचने के हर उपायों का सख्ती से पालन करता हूं, जब घर जाता हूं तो सबसे पहले एक अलग कमरे में वर्दी निकालता हूं और अच्छे सा हाथ-पैर धुलकर और सैनिटाइज करने के बाद ही परिवार से मिलता हूं । परिवार वाले भी समझते हैं कि मुश्किल घड़ी है लिहाजा उनका भी पूरा सहयोग मिल रहा है।

बदलाव- जनता से पुलिस को क्या उम्मीद रखती है और क्या आप उन्हें कोई संदेश देना चाहते हैं ।

कुमार आशीष- मैं बस यही कहूंगा कि मुश्किल घड़ी हैं । हम सभी को साथ मिलकर लड़ना होगा, हमसे भी कुछ गलतियां हो सकती हैं, लेकिन आप लोगों की मदद से हम उसे भी दूर कर लेंगे और ये मुश्किल वक्त भी कट जाएगा । बिना आपकी मदद के ये काम आसान नहीं होगा, इसलिए संकट की इस घड़ी में एक दूसरे पर भरोसा बनाए रखिए। जो नियम बनाए गए हैं उसका सख्ती से पालन करें और प्रशासन की मदद करें, सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें। अपने परिवार की सुरक्षा का ख्याल रखने के साथ साथ आपने आसपास के लोगों का भी ख्याल रखें और ये सुनिश्चित करें कि आपके आसपास कोई भूखा ना सोए ।

बदलाव से बात करने के लिए शुक्रिया  

2 thoughts on “किशनगंज के वर्दी वाले कोरोना वॉरियर्स से लव न करें तो क्या करें?

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