‘ग्रैनीज इन’ में ठहरने का आनंद ही अलग है

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नीतीश पाण्डेय

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने स्टार्टअप इंडिया कैंपेन के लिए कुछ पोस्टर वीमेन की तलाश करें तो उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र बनारस से आगे बढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जी हां, काशी की दो बहने हैं, जिनके हौसले के आगे उनकी बढ़ती उम्र ने भी हार मान ली है। दरअसल, काशी में अरुणा (65) और आशा (68) नाम की ये दो बहनें अपनी हिम्मत की वजह से चर्चा में हैं।

बिहार के मुंगेर जिले की रहने वाली आशा और अरुणा चचेरी बहनें हैं। अरुणा बनारस स्थित रामापुरा के मकान में ही रहती हैं। उन्होंने पति के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला। अरुणा को एक लड़का और एक लड़की है, दोनों दूसरे शहरों में अपने परिवार के साथ रहते हैं। जबकि आशा की बेटी अपने पति के साथ गुड़गांव (अब गुरुग्राम) में रहती है। दो साल पहले काशी में आने वाले सैलानियों की दिक्कतों को देखते हुए इन दोनों बहनों के दिमाग में ‘होम स्टे’ बिजनेस का आईडिया आया। ये बहनें इस बिजनेस की बदौलत हजारों लोगों के घरों में खुशियां लाने का काम कर रही हैं।

क्या है ‘ग्रैनीज इन’

दरअसल, उन्होंने अपने ‘होम स्टे’ बिजनेस को नाम दिया है ‘ग्रैनीज इन’ यानि दादी-नानी का घरौंदा। ‘ग्रैनीज इन’ सैलानियों के लिए हर सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। जिसमें पांच डबल बेड व एक सिंगल बेड का कमरा होता है। इन कमरों का किराया दो हजार से लेकर तीन हजार रुपए तक है। ‘ग्रैनीज इन’ में सबसे बड़ी खासियत यहां मिलने वाला स्वादिष्ट भोजन है, क्योंकि यहां खाने के दौरान आप अपनेपन जैसा महसूस करेंगे। आशा के मुताबिक, यहां आने वाले हर शख्स से उनका परिवार जैसा संबंध हो जाता है।

धर्मनगरी बनारस में हर रोज हजारों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। ‘जर्नलिस्ट कैफे’ से बात करते हुए कई सैलानियों का कहना है कि उन्हें ‘ग्रैनीज इन’ में ठहरने के दौरान जो सुकून मिलता है वह अन्य जगहों पर नहीं मिल पाता। यहां ठहरने वाले सैलानियों को बिल्कुल उनके घर जैसा माहौल मिलता है। ग्रैनीज इन की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर महीने तक की बुकिंग मार्च में ही हो चुकी है। इनमें ज्यादातर विदेशों से आने वाले सैलानी शामिल हैं। ‘होम स्टे’ की मालकिन आशा के मुताबिक, दुनिया के कोने कोने से यहां पर सैलानी रहने के लिए आते हैं। वर्तमान में कुल पांच कर्मचारी यहां कार्यरत हैं।


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नीतीश पाण्डेय। एक दशक से मीडिया में सक्रिय। कुशीनगर के निवासी। समाज में होते बदलाव पर आपकी पैनी नज़र रहती है। 


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