पुष्यमित्र
इन दिनों देश अपने नये राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर उत्सुक है। हालांकि देश खुद अपना राष्ट्रपति नहीं चुनता। यह चुनाव वे लोग करते हैं, जिन्हें हमने अपना प्रतिनिधि चुना है। हम सिर्फ उत्सुकता भरी निगाह से इंतजार करते हैं, कि देखें हमारे प्रतिनिधि किसको राष्ट्रपति चुनते हैं, कैसा राष्ट्रपति चुनते हैं? फिर भी, बैठे-बिठाए यह ख्याल मन में आ गया कि क्या एक किसान देश का राष्ट्रपति बन सकता है?
कन्फर्म तो नहीं हूँ, मगर शायद गांधीजी ने यह सपना देखा था कि राष्ट्रपति भवन में कभी किसी किसान को जगह मिलनी चाहिये। पर 70 साल बाद भी यह सपना पूरा नहीं हो पाया। ज्यादातर किसी अवकाश प्राप्त राजनीतिज्ञ को जगह मिली। कई दफा ज्ञानी जैल सिंह और प्रतिभा पाटिल जैसे उदाहरण भी हमारे प्रतिनिधियों ने पेश किये। हां, अपवाद स्वरूप एक बार कलाम जैसे व्यक्ति को भी मौका मिला। मगर वे किसान नहीं थे।
जब एक किसान राष्ट्रपति के बारे में मेरे मन मे ख्याल आया तो सबसे पहले पहड़ा राजा सिमोन ओरांव की छवि मेरे मन में उभरी। उन्होंने कई साल पहले अपने पंचायत में तीन बांध, पांच पोखर और दर्जन भर कुओं का जलतंत्र खड़ा किया था, जो आज भी कायम है और पूरे गांव की खेती के लिये मददगार है। उन्हें इस काम के लिये पद्मश्री की उपाधि भी मिली। क्या हमारे प्रतिनिधि इस किसान को राष्ट्रपति का पद दे सकते हैं?
यह तो बस खाम ख़याली है। मगर ऐसा सचमुच हो गया तो अच्छी मिसाल साबित होगा। वे न सिर्फ किसान समुदाय से बल्कि आदिवासी समुदाय से भी इस पद पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति होंगे। और इसका संदेश बहुत व्यापक होगा। न सिर्फ देश के लिये, बल्कि दुनिया के लिये भी।
पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।