राकेश कायस्थ सरकारी तंत्र यानी नकारापन। प्राइवेट सेक्टर यानी अच्छी सर्विस और एकांउटिबिलिटी। यह एक आम धारणा है, जो लगभग
Category: चौपाल
बच्चे फटकार की नहीं प्यार की भाषा समझते हैं
अरुण प्रकाश बच्चे का मन गंगा की तरह पवित्र और निर्मल होता है। उसमें ना कोई छल होता है और
खुदगर्जी में हम खुद के लिए खोद रहे खाई
ब्रह्मानंद ठाकुर टूटते-बिखरते रिश्ते, दरकता विश्वास । इस महीने के शुरू में हमारे देश में अलग-अलग जगहों पर जिन तीन
बाढ़ की आपदा में क्या करें हम
पुष्यमित्र इन दिनों उत्तर बिहार भीषण किस्म की बाढ़ आपदा के सामना कर रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 14
‘राष्ट्रवाद’ के सियासी छलावे में उलझता देश
ब्रह्मानंद ठाकुर आज देश में चारों तरफ राष्ट्रीयता और देशभक्ति की होड़ मची हुई है। ऐसा लगता है आजादी के
कांग्रेस मुक्त भारत का थका नारा और गुजरात के सबक
राकेश कायस्थ जिस दौर में चोर को चाणक्य और तड़ीपार को तारनहार का समानार्थी मान लिया गया है। उसी दौर
सुनो ! कोरी बकवास नहीं है बुलेट ट्रेन
सत्येंद्र कुमार यादव जिन्हें लग रहा है कि भारत में बुलेट ट्रेन दौड़ाना कोरी कल्पना है उन्हें अपनी गलतफहमी दूर
कुपोषित बच्चों से सशक्त राष्ट्र का सपना कैसे होगा पूरा?
बदलाव प्रतिनिधि, पटना भारत युवा आबादी के मामले में अग्रणी देशों की कतार में आता है। यहाँ 44 करोड़ से
बाढ़ की आपदा को हम ही दे रहे हैं बार-बार न्योता
रूचा जोशी मानव सभ्यता के उदभव काल से ही मनुष्यों का नदियों से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। प्रारंभिक काल में
जोखिमों से होकर गुजरता है कामयाबी का रास्ता
रूचा जोशी “कैरियर क्या चुनें? ‘ इस सवाल से सभी लोगों को गुजरना पड़ता है। मैं भी इससे गुजर चुकी