राकेश कायस्थ सिनेमा हम सबके भीतर होता है। ज्यादातर लोग मन की आंखों से देखते हैं। लेकिन कुछ जिगर वाले
Category: मेरा गांव, मेरा देश
‘लक्ष्मी’ के आगे बेबस शिक्षा की देवी सरस्वती
ब्रह्मानंद ठाकुर विद्या की देवी कही जाने वाली सरस्वती की पूजा धूम-धाम की की जा रही है । शहर से
यूपी को ‘बेस’ पसंद है !
कुमार सर्वेश यूपी चुनाव में सत्ता के लिए बिसात बिछ चुकी है। हर कोई अपने-अपने मोहरे मैदान में उतार चुका
आजमगढ़ का शारदा टाकीज बना रंगमंच का नया ठीहा
संगम पांडेय आजमगढ़ के उजाड़ और खस्ताहाल शारदा टाकीज को अभिषेक पंडित और ममता पंडित ने रंगमंच के लोकप्रिय ठीहे
भुईली के ‘रायबहादुरों’ ने दिल्ली में लिया बड़ा संकल्प
संजीव कुमार सिंह सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने की कहावत खूब सुनी है, लेकिन इस बार अपने अरमानों पर ओले
वाकई… तुम हो बेहद हसीं
गायक येसुदास को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया है। उनके मुरीद प्रसन्न हैं। ऐसे ही एक मुरीद देवांशु झा
कहां गुम हो गई गणतंत्र दिवस की वो ‘प्रभात फेरी’
ब्रह्मानंद ठाकुर अपने बचपन का गणतंत्र दिवस याद है। तब मैं 8-9 साल का था । गांव के प्राइमरी स्कूल
‘बेबस और लाचार लोगों की आवाज़ है रेडियो कोसी’
दीपक कुमार युवा लेखक पुष्यमित्र का नया उपन्यास ‘रेडियो कोसी’ लगभग भूल चुके त्रासदी को उजागर करता है। लेखक ने
फूस की झोपड़ी में छिपा कोसी का दर्द
पुष्यमित्र कोसी के तट पर बसे लोगों का दर्द वही समझ सकता है जो या तो वहां रहता हो या
साइकिल पर सवार अखिलेश, मार्ग दिखाए मुलायम
टीम बदलाव समाजवादी पार्टी में सिंबल की जंग अब खत्म हो गई है । चुनाव आयोग ने साइकिल और