अरुण यादव देश का अन्नदाता सड़क पर है फिर भी सरकार सो रही है । आखिर हमारी सरकारों की नींद
Category: मेरा गांव, मेरा देश
मुजफ्फरपुर के वीर सपूत जुब्बा सहनी की शहादत गाथा
ब्रह्मानंद ठाकुर ” हां, वायलर को मैंने मारा, किसी और ने नहीं।” यही तो कहा था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा
बनपुरी के डिजिटल स्कूल बनने की कहानी गजब-दिलचस्प है!
शिरीष खरे बारह साल पहले जब यहां यह स्कूल नहीं था तब एक आदमी ने अपनी जमीन दान कर दी।
सांगली की रानमला बस्ती के स्कूल के रंग
शिरीष खरे एक छोटे-से कमरे के एकमात्र दरवाजे पर हर दिन सुबह-सुबह छोटे बच्चे एक सुंदर रंगोली बनाते हैं, जो
आधी आबादी के हक़ की संघर्ष गाथा
ब्रह्मानन्द ठाकुर 8 मार्च का दिन दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज से 107
हर ढहती हुई मूर्ति ‘गांधीजी’ की ही है
पीयूष बबेले त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति को बुल्डोज किया गया तो पहले गुस्सा और फिर दुख हुआ। जो लोग एक
वीरान बिड़ला नगर में बिखरी ‘बुद्धू’ की कुछ यादें
अनिल तिवारी ग्वालियर के बिड़ला नगर में दिन बीत रहे थे। दादागीरी के साथ मेरी जिन्दगी में रंगमंच की अहमियत
त्रिपुरा में छद्म वामपंथ की पराजय
ब्रह्मानन्द ठाकुर भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में वामपंथ का गढ़ ध्वस्त हो गया। बंगाल में सत्ता हाथ से खिसकने
लोकतंत्र की काग़ज़ी खूबसूरती ज़मीन पर कब उतरेगी- उर्मिलेश
पशुपति शर्मा “हिंदुस्तान जितना खूबसूरत लोकतंत्र काग़जों पर है, उतना खूबसूरत लोकतंत्र ज़मीन पर नहीं दिखता। जबकि यूरोप के कई
अब न रहा वो फगुआ, अब न रहे वो हुरियारे
प्रशांत पांडेय ज़िंदगी की आपा धापी में प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं। मनुष्य समय के चक्र में फँसकर उसी के इशारे