पुष्यमित्र सरकारी आंकड़ों में बिहार में दस में से आठ बच्चे कुपोषित हैं। 26 फीसदी बच्चे अति कुपोषित हैं। 80
Category: मेरा गांव, मेरा देश
लेखकों का ‘आपातकाल’ और ‘फासीवाद’ बस हौव्वा है ?
संजय द्विवेदी देश में बढ़ती तथाकथित सांप्रदायिकता से संतप्त बुद्धिजीवियों और लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला वास्तव
क़लम से ही क़ातिलों के सर क़लम करें लेखक
कुमार सर्वेश तेंदुआ गुर्राता है, तुम मशाल जलाओ। क्योंकि तेंदुआ गुर्रा सकता है, मशाल नहीं जला सकता। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
काए गुड़िया नईं चिन्हो का?
कीर्ति दीक्षित काफी सोच विचार के बाद शहर के शोरगुल से दूर अपनी कलम को आवाज देने के लिए मैंने अपने
विदेशी धरती पर मजहबी मोहब्बत का संगम
भव्य श्रीवास्तव एक लौ जल गई। अमेरिका के साल्टलेक सिटी में पार्लियामेंट ऑफ रिलीजंस की शुरुआत इसी तरह हुई। कन्वेंशन
बंज़र ज़मीन पर लहलहाएंगी उम्मीदें… चलते रहो साथी
योगेंद्र यादव के फेसबुक वॉल से सूखा महाराष्ट्र और यूपी ही नहीं बल्कि राजस्थान की धरती का सीना भी चीर
किसे रास आएगा सियासत का ‘साझा चूल्हा’ ?
देवेंद्र शुक्ला बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार थम चुका है लेकिन बाकी तीन चरणों के लिए वार-पलटवार
पहले शौचालय या देवालय… एक बार ‘जनार्दन’ से पूछिए
पुष्यमित्र जहानाबाद शहर से सिर्फ चार किमी दूर है बरबट्टा गांव। मुख्य सड़क के किनारे बसा यह गांव मखदूमपुर विधानसभा के
बुलंद कम क्यों है बुंदेलखंड की आवाज़ ?
योगेंद्र यादव के फेसबुक वॉल से आंखें देख पाती उससे पहले ही गाड़ी ने हिला-हिला कर बता दिया कि हम
किसान क जिंदगी मुआर हो गईल…!
सत्येंद्र कुमार यूपी में पंचायत और बिहार में विधानसभा चुनाव जारी है। हर घर बिजली, सड़क, सिंचाई, शिक्षा की बात