शिरीष खरे कुछ बनने की जल्दी में हुआ दृष्टि-दोष, फिर एक दिन अचानक एक घटना से कि जाना निकट की चीजें दूर या दूर
Category: आईना
हर सांझ अकेले हैं मेरे बाबू जी !
विकास मिश्रा बाबूजी से मिलकर गांव से लौटा हूं। करीब सात महीने बाद मिला, 93 साल की उम्र हो चली
अदालतों में फ़ैसले होते हैं, इंसाफ़ हो यह ज़रूरी नहीं
राकेश कायस्थ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पी.वी. सावंत ने आजतक को जो इंटरव्यू दिया है, उसमें बहुत सी
सुकून का कहीं कोई वाई फाई नेटवर्क नहीं!
सच्चिदानंद जोशी मैं जैसे ही उस रिसोर्ट में दाखिल हुआ अचंभित रह गया। शहर से इतने पास, लेकिन शहर के
देहरादून में सृजन का सादगी भरा साहित्य उत्सव
प्रियदर्शन साहित्य समारोह अक्सर अपनी भव्यता और भटकावों में मुझे अरुचिकर लगते रहे हैं। इन समारोहों में साहित्य और विचार
नए साल पर पठन-पाठन का चैलेंज
सोशल मीडिया पर पिछले दो दिनों से शुभकामनाओं का सिलसिला चल रहा है, ऐसे में एक पोस्ट पर नज़र गई।
रीयल लाइफ का ‘पैड-मैन’
बासु मित्र आपने अक्षय कुमार की फिल्म पैड-मैन की चर्चा खूब सुनी होगी । इन दिनों टीवी चैनल्स से लेकर
हमने दुनिया का सबसे अच्छा आर्ट टीचर पाया
पशुपति शर्मा दिसंबर के पहले हफ़्ते में आर्ट सर (श्री राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ) से आख़िरी मुलाक़ात हुई। सर के चेहरे
‘खिड़की’ से झांकता लेखक और वो लड़की
संगम पांडेय विकास बाहरी के नाटक ‘खिड़की’ में कथानक के भीतर घुसकर उसकी पर्तें बनाने और खोलने की एक युक्ति
पद्मावती मिथकों-किस्सों में भी सम्मान की हक़दार तो है!
धीरेंद्र पुंडीर “सोना सभी का रक्त बहाता और फिर भी अपने स्थान पर रहता है कोई ऐसा नहीं जो कि