ब्रह्मानंद ठाकुर 11 अगस्त 1908 की वो तारीख जिसे देश कभी भूल नहीं पाएगा क्योंकि ये वो दिन जब एक
Category: बिहार/झारखंड
झारखंड पुलिस से सवाल- ये खुदकुशी है या हत्या?
बदलाव प्रतिनिधि मामला 3 जुलाई 2017 का है। शिव सरोज कुमार ने एक सुसाइड नोट पीएम मोदी और झारखंड के सीएम
‘शिक्षा के बिना समाज में बदलाव मुमकिन नहीं’
ब्रह्मानंद ठाकुर हिन्दी का शायद ही कोई ऐसा विरला साहित्यकार होगा जिसकी जयंती उसके निधन के 81 साल बाद भी
खाये पिये कुछ नहीं, गिलास फोड़े बारह आना
राकेश कायस्थ अक्टूबर 2015 की बात है। बिहार के चुनावी तमाशे के बीच अचानक एक एमएमएस सामने आया। औघड़ सरीखे
बिहार में महागठबंधन टूटने पर किसने क्या कहा ?
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई। सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का
समान शिक्षा के लिए सिर्फ नीति नहीं, नीयत होनी चाहिए
ब्रह्मानंद ठाकुर आजादी के 70 बरस बाद भी हिंदुस्तान में ना तो शिक्षा आम आदमी तक पहुंच सकी और ना
दाल उत्पादन में आत्म निर्भर होने का फॉर्मूला क्या है?
दलहनी फसलों का उत्पादन न केवल बिहार बल्कि पूरे देश की एक गम्भीर समस्या है। सरकार के लाख प्रयास के
हाईब्रिड बीज के मायाजाल से कैसे निकले किसान?
ब्रह्मानंद ठाकुर ये कैसी विडंबना है कि देश का किसान जो हर हिंदुस्तानी का पेट भरता है आज वही मर
मांगू मांगू मांगू दुलहा…हाथी घोड़ा गइया हे !
अभी शादी-विवाह का मौसम चल रहा है। लिहाजा इस अवसर पर नाना प्रकार के गीतों के स्वर फिजां में तैर
मीडिया का राष्ट्रवाद ‘पनछुछुर’ है- विनीत कुमार
एम अखलाक कारोबारी मीडिया का राष्ट्रवाद पनछुछुर है। इसका राष्ट्रवाद आर्थिक गलियारों से होकर गुजरता है। इस राष्ट्रवाद में मुगालते