राणा यशवंत के फेसबुक वॉल से साभार सुबह के साढे आठ बज रहे थे. फोन उठाया तो लरजती सी आवाज
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चरवाहा विद्यालय के सपने को कौन चर गया ?
ब्रह्मानंद ठाकुर बिहार में का विधानसभा चुनाव का ऐलान भले ही अभी नहीं हुआ है लेकिन चुनावी बयार बहने लगी
पत्रकार उर्मिलेश को लॉकडाउन के नए दोस्त मुबारक
अपन जैसे घुमक्कड़ के लिए इन दिनों घर की यह बालकनी सबसे प्रिय जगह है, जहां दिन भर में दसियों
हां मैं थोड़ा स्वार्थी हूं
मोना चौहान के फेसबुक वॉल से साभार मैं भारत का नागरिक हूँहाँ मैं थोड़ा स्वार्थी हूँआज मुझे मतलब है खुद
पूंजीवादी युग में एक ‘फकीर’ का जिंदा होना !
वीरेन नंदा “कोरोना के इस गहराते संकट के समय कुछ नई किताब पढ़ने के लिए आलमारी टटोल रहा था तब
धार्मिक दंगे भारतवर्ष का पीछा कब छोड़ेंगे ? -भगत सिंह
23 मार्च भगत सिंह का शहादत दिवस है। 1931 में इसी दिन भारतीय आजादी आंदोलन की गैरसमझौतावादी धारा के इस
एक ‘थप्पड़’ से क्या होता है, महिलाओं से ये सवाल कब तक?
बिन्दु चेरुन्गात 8 मार्च, पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष महिला दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र
झाड़ीपट्टी के ‘सितारों’ का अपना संघर्ष है- अनिरुद्ध वनकर
अक्सर जब हम महाराष्ट्र की लोक कला शैलियों की बात करते हैं तो हमारे जेहन में ‘तमाशा’, गोंधल, पोवाडा, और
नाराजगी मुक्त जीवन लेकर नए साल में प्रवेश करें
विकास मिश्रा के फेसबुक वॉल से साभार नजदीकी रिश्ते की एक भाभी थीं, दो साल बड़ी रही होंगी मुझसे। बहुत
भेड़ियों से घिरी बेटियां
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार भेड़िया आया-भेड़िया आयावाले किस्से सेहमने बचपन मेंसीखा था सबकबार-बार का झूठकितना खतरनाक होता