पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार मित्रो इन दिनों कुछ लोगों का सम्मान आम लोगों की ज़िंदगी से लाखों-करोड़ों
Category: गांव के रंग
‘मौलाना जोशी’ ने ‘मुल्क’ से कुछ मांगा है, दे पाओगे?
सच्चिदानंद जोशी कुछ दिन पहले बचपन का एक दोस्त मिला। मेरे रूप को देखते ही बोला “अरे यार तुम तो
अंधविश्वास और बाज़ारवाद के मायाजाल से घिरी आस्था
ब्रह्मानंद ठाकुर धनरोपिया खतम हो जाने से घोंचू भाई अब पूरी तरह से फुर्सत में हैं। इधर दू- चार दिन से टिप-टाप
‘देश में समान शिक्षा के लिए जन आंदोलन की जरूरत’
टीम बदलाव आजादी के 7 दशक बाद भी हम देश में समान शिक्षा और समान स्वास्थ्य जैसी मूलभूत जरूरतों को
एमरी अषाढ शुक्ल पक्ष का नवमी शनिवारे को पड़ा है!
ब्रह्मानंद ठाकुर हमारे घोंचू भाई उस पीढी से बिलांग करते हैं जिस पीढी के अधिकांश लोग खलास हो चुके हैं
मांगू मांगू मांगू दुलहा…हाथी घोड़ा गइया हे !
अभी शादी-विवाह का मौसम चल रहा है। लिहाजा इस अवसर पर नाना प्रकार के गीतों के स्वर फिजां में तैर
चाँद मामा हंसुआ द
बदलाव प्रतिनिधि जैसे जैसे दिन बीतता जा रहा है..बदलाव बाल क्लब की कार्यशाली परवान चढ़ती जा रही है । मुजफ्फरपुर
कल संवारना है तो आज सुन लो अच्छे किस्से
बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर मुजफ्फरपुर जिले के सुदूर गांव पियर में बदलाव बाल क्लब की कहानी कार्यशाला शुरू हो गई। हिन्दी के
‘अंगूठा छाप’ क्रांति से बदलेगी बैंकिंग की दुनिया
सत्येंद्र कुमार यादव गांव में पहले और आज भी अनपढ़ लोगों को अंगूठा छाप ही बोला जाता है। ऐसे लोग
‘झिझिया’ से इतनी झिझक क्यों भाई !
पुष्य मित्र अगर हमें अपनी संस्कृति और लोक परंपराओं को जीवित रखना है तो उसे सिर्फ दिल में सहेजने भर