डा. सुधांशु कुमार हिंदी कथा साहित्य को ‘तिलस्म’ और ‘ऐय्यारी’ के खंडहर व अंधेरी गुफा से निकालकर जनसामान्य के दुख-दर्द
Category: चौपाल
बनारस में कथानक को इम्प्रेशन में बदलता ‘मैकबेथ’
संगम पांडेय व्योमेश शुक्ल की नई प्रस्तुति ‘बरनम वन’ का कलेवर मैकबेथ की तमाम होती रही प्रस्तुतियों में काफी मौलिक
वीरेन नंदा की किस्सागोई पार्ट-6
वीरेन नंदा किस्सागोई के पिछले अंक में आपने पढ़ा कि किस तरह कवि- कहानीकार दोस्तों ने भिक्षा प्रकाशन के लिए
ग्रामीण चेतना के महाकवि रामइकबाल सिंह ‘राकेश’
डा. सुधांशु कुमार अवसानोन्मुख छायावाद के साहित्याकाश में मानववाद एवं ग्राम्य चेतना के महाकवि रामइकबाल सिंह ‘राकेश’ का उदय हिंदी
वीरेन नंदा के किस्से पार्ट-3
वीरेन नंदा किस्सागोई के पिछले अंक में आपने पढ़ा कि कैसे दो दोस्त, जो साहित्यकार भी हैं, घर से रिक्शे
कबीर की परंपरा के कवि नागार्जुन
ब्रह्मानंद ठाकुर अक्खड़पन और खड़ी-खड़ी कहने की परम्परा में बाबा नागार्जुन कबीर के काफी करीब पड़ते हैं। किसी को बुरा
मोदी पर नई किताब “ग्लोबल लीडर” और राष्ट्र की उम्मीदें
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी के रास्ते अलग हो गए हैं । अब दोनों एक दूसरे के खिलाफ जुबानी जंग
शिक्षा तंत्र के श्राद्ध कर्म के बीच नारद कमीशन
ब्रह्मानंद ठाकुर जिन लोगों ने श्रीलाल शुक्ल का राग दरबारी पढा है, उन्हें नारद कमीशन भी पढना चाहिए। राग दरबारी
हिक्की, हरीश चंद्र मुखर्जी और कोलकाता की पत्रकारिता
पुष्यमित्र इस साल पत्रकार और मित्र विनय तरुण की याद में आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए हमलोग 24
अतिवादों के दौर का जनक है पूजीवादी अर्थतंत्र-ब्रह्मानंद ठाकुर
ब्रह्मानंद ठाकुर विनय तरुण स्मृति व्याख्यान 2018 का विषय है- अतिवादों के दौर में पत्रकारिता और गांधीवाद। मैं यह स्पष्ट कर