महानगरीय जीवन में सिकुड़ते परिवार और रिश्तों में बढ़ती दूरियों के बीच बुजुर्गों के महत्व को रेखांकित करने की कोशिश
Category: मेरा गांव, मेरा देश
पुरखों को याद करें, लेकिन बुजुर्गों की इज्जत करना ना भूलें
ब्रह्मानंद ठाकुर घोंचू भाई आज साइकिल से बाजार गये हुए थे। लौटने में देर हो रही थी। हम मनोकचोटन भाई
30 सितंबर को आइए और समझिए हमने अपने बुजुर्गों को कैसी ज़िंदगी दी
टीम बदलाव विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस की पूर्व संध्या पर बदलाव और ढाई आखर फाउंडेशन की ओर से ‘कल और
‘दादी’ के दर्शन और दादी से बिछड़ने का डर
नीलू अग्रवाल उस लड़की ने हाथ पकड़ रखे हैं अपनी दादी के और मजबूती से पकड़ रखे हैं । मजबूती
बादशाह खान के प्रति
– अरुण कमल बुढ़ापे का मतलब है सुबह शाम खुली हवा में टहलना बूलना बुढ़ापे का मतलब ताजा सिंकी रोटियाँ
कल और आज – कुछ अपनी कहें, कुछ हमारी सुनें’
महानगरीय जीवन में परिवार सिकुड़ता जा रहा है और रिश्तों में दूरिया बढ़ती जा रही हैं। आलम ये है कि
विज्ञापन का चाबुक और पत्रकारों का संकट
पुष्यमित्र अमूमन ऐसे मौके कम ही आते हैं, जब पत्रकारों के संकट के बारे में बातें होती हैं। हालांकि पत्रकारिता
हाईब्रिड की माया और किसानों की मुश्किल
ब्रह्मानंद ठाकुर उतरइत उत्तरा नक्षत्र में मेघ बरस जाने से घोंचू भाई के मुरझाएल चेहरा पर जब तनिका हरियरी छाया
जलकर बढ़ने की सीख देने वाले राष्ट्रीय चेतना के प्रखर कवि दिनकर
संजय पंकज राष्ट्रीय चेतना के प्रखर और ओजस्वी कवि रामधारी सिंह दिनकर सामाजिक दायित्व और वैश्विक बोध के भी बड़े
बदलाव पाठशाला: हम चलते रहे, कारवां बनता गया
ब्रह्मानंद ठाकुर आगामी 2 अक्टूबर को बदलाव पाठशाला का एक साल पूरा हो जाएगा। 6 साल से 13 साल तक