शिरीष खरे आज हम सियासी फायदे के लिए कुछ भी करने के तैयार हैं, लेकिन आधी आबादी को उसका हक
Category: मेरा गांव, मेरा देश
गठबंधन का ‘सत्तारायण’
यूपी में करीब 25 साल बाद ऐसा संयोग बना है जिसमें सपा और बसपा दोनों पार्टियां एक साथ गठबंधन के
‘सूखा गुलाब’ की महक और मनगढ़ंत धारणाओं का सच
पुस्तक मेला को लेकर मेरा नजरिया अब बदल गया है । पहले सोचता था कि कितने लोग जाते होंगे ?
राजनीति में 2-2 बाईस नहीं होता… पूरा गणित इस पर सिमट जाएगा !
लोकसभा चुनाव 2019 : दो जमा दो हमेशा चार या बाईस नहीं होते है राजनीति में ये दो भी रह
’36 का आंकड़ा’ 38 में बदल गया… प्रधानमंत्री उम्मीदवार के सवाल पर ‘चुप्पी’ !
मुलायम की कुर्सी छिन जाने के बाद गुस्साए समर्थकों ने मायावती पर हमला कर दिया था जिसे पूरा देश गेस्ट
जब गौरक्षकों को विवेकानंद ने पढ़ाया था इंसानियत का पाठ
ब्रह्मानंद ठाकुर स्वामी विवेकानन्द की 156वीं जयंती तो जाहिर है इस अवसर पर राष्ट्र के पुनर्निरमाण में विवेकानन्द के अनंत
कहीं ये मंडल-कमंडल पार्ट-2 की आहट तो नहीं
राकेश कायस्थ क्या मोदी सरकार ने सवर्ण मनोविज्ञान को पढ़ने में गलती की है? क्या वाकई सवर्ण अपने लिए आरक्षण
वक्त ने मंदरा को मार डाला… मनु की यादों में आज भी जिंदा है
पौड़ी: गांव के बुजुर्ग गुजर गए तो उनके साथ-साथ अनूठा हुनर भी जाता रहा। जैसे, हमारे गांव में कभी ये
आधुनिक भव्यता के बीच पौराणिक परंपरा का दर्शन… ऐसा पहली बार हो रहा है!
दिव्य कुंभ, धर्म-अध्यात्म का कुंभ, प्रयागराज की पौराणिक परंपरा जिससे जुड़ी हैं समुद्र मंथन की अद्भुत कहानियां, अक्सर सुनाया जाता
‘हिंगोश’ का दिलचस्प किस्सा
ये बात अक्सर कही जाती है, आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जैसे ये लकड़ी है। यूँ तो यह किसी पेड़