सत्येंद्र कुमार यादव अपनी शर्तों पर चलना आसान नहीं होता। सामाजिक मान्यताओं, धारणाओं को तोड़ना सबके बस की बात नहीं
Category: मेरा गांव, मेरा देश
नेमिजी के होने न होने के 100 बरस
रवीन्द्र त्रिपाठी किसी बड़े रचनाकार की जन्मशती के मौके पर ये सवाल उठ सकता है कि उसे किस रूप में
पहाड़ के खिलाड़ियों के लिए खुशखबरी
बीडी असनोड़ा उत्तराखंड को बीसीसीआई की मान्यता मिल गई है। खुशी के साथ बहुत भावुक करने वाला क्षण है। 9
नेमि शती- NSD में शाम 6.30 बजे ‘साक्षात्कार अधूरा है’ का मंचन
बदलाव प्रतिनिधि राजधानी दिल्ली में 16 अगस्त से नटरंग प्रतिष्ठान की ओर से नेमि शती कार्यक्रम चल रहा है। 16
कश्मीर और संघ के वैचारिक परिप्रेक्ष्य को समझिए
दिवाकर मुक्तिबोध 5 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी सरकैर ने संवैधानिक प्रक्रियाओं को धता बताते हुए जम्मू और कश्मीर
समाज को अज्ञानता और असहिष्णुता के आनंदलोक की ओर ढकेलता हमारा मीडिया
उर्मिलेश जी के फेसबुक वॉल से साभार अपने देश के उत्तर और मध्य क्षेत्र में पत्रकारिता, खासतौर पर न्यूज चैनलों
आप बहुत याद आएंगी सुषमा जी
राकेश कायस्थ मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल को याद कीजिये। गवर्नेंस का एक नया मॉडल देश में आया था। शासन
ये मूर्खता के भूमंडलीकरण का दौर है !
राकेश कायस्थ/ पिछले पांच साल में इस देश में प्रति मिनट जितने शौचालय बने हैं, उन्हें अगर जोड़ा जाये तो
रिवायत- राजधानी में लोक-उत्सव की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
पशुपति शर्मा आप सपने देखें तो वो सच भी होते हैं। इसी विश्वास के साथ दिल्ली में लोक कलाओं के
चित्रा, कुछ तो लोग कहेंगे…
आनंद बक्षी साहब इस देश को गजब समझते थे तभी लिखा था ‘कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है