सत्येंद्र कुमार यादव आज कुछ बच्चे हंस रहे थे, मुस्कुरा रहे थे। तालियां बजा कर उत्साह मना रहे थे। अपनी
Category: मेरा गांव, मेरा देश
कभी यहां शेर रहते थे, आज राजनीति के ‘लकड़बग्घे’
कुमार सर्वेश यहां ‘धान का कटोरा’ है, प्राकृतिक सौंदर्य की वनदेवी है, खनिज संपदा के पहाड़ हैं, जड़ी-बूटियों के जंगल हैं,
‘सूखे’ की खूंटी पर टंगा ‘साहित्य’
दिवाकर मुक्तिबोध ‘श्रेय’ की राजनीति में निपट गया रायपुर साहित्य महोत्सव। कुछ तारीखें भुलाए नहीं भूलती। याद रहती हैं, किन्हीं
एसिड से भी खाक नहीं कविता का सौंदर्य!
प्रतिभा ज्योति लोग अक्सर सोशल साइटस पर अपने आकर्षक और खूबसूरत तस्वीरें पोस्ट किया करते हैं। पोस्ट के बाद
16 मौजों के मजरा गांव में चाय वाली की चर्चा
सियासत उसके लिए किसी अबूझ पहेली से कम नहीं थी। चुनाव लड़ना तो दूर उसके बारे में सोचने की फिर
चुर्रामुर्रा के शिखर के चांद हैं डॉक्टर चंद्रशेखर
सत्येंद्र कुमार यादव हरियाणा में गांव प्रधान के चुनावों में शिक्षा की शर्त लागू कर दी गई है। व्यावहारिक रूप में
हुनरमंद बेटियों के हाथ गांव की ‘सरकार’
टीम बदलाव 13 दिसंबर को यूपी के गांवों की ‘सरकार’ बन गई। काफी उठापटक के बाद लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से ग्राम
विद्रोही, तुम्हारी दया का पात्र नहीं है महानुभावों
संदीप सिंह इरादा विद्रोही की कविता पर, जीवन पर लिखने का था पर कुछ दिन बाद, वह लिखूंगा। पर ‘अपनी
जेएनयू, तेरे विद्रोही ने ‘ठिकाना’ बदल लिया
अरविंद दास विद्रोही जी नहीं रहे। जेएनयू का एक कोना हमेशा-हमेशा के लिए सूना हो गया। जेएनयू में एक लंबा
मिनी संसद में पढ़े-लिखे लोग करेंगे गांव का फ़ैसला
प्रियंका यादव हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है। यहां जनता के सभी अधिकार संविधान से मिलते हैं और उसे पूरा