रूपेश कुमार बीना को इसलिए उसके ससुरालवालों ने घर से निकाल दिया कि वह पढ़ना चाहती थी, लेकिन उसने हिम्मत
Category: आईना
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है…
रिषीकांत सिंह चार दिन पहले की बात है। रात में सोने की तैयारी कर रहा था। अचानक ऊपर वाले फ्लैट
सिलिकन वैली से कुछ यूं देखा उसने अपने हिंदुस्तान को…
रिद्धी भेदा मैं मिड्ल स्कूल की छात्रा हूं और इन दिनों सांटा क्लारा में रहती हूं, जिसे सिलिकन वैली के
मुस्कान… आशाओं वाली… उम्मीदों वाली
हेमन्त वशिष्ठ ये तस्वीर आपसे कुछ कहना चाहती है… ये बेफिक्री… कुछ कहना चाहती हैं… कुछ कहना चाहते हैं ये
किताबी कायदों में ज़िंदा जज़्बातों की क़ब्र न बने साहब!
सत्येंद्र कुमार यादव आप समाजेसवी हैं, सच्चे दिल से समाज की सेवा में लगे हैं, सामाजिक सरोकारों को लेकर किसी
आओ हंसें, खिलखिलाएं, बातें करें और दिल को ‘हलका’ कर लें
विकास मिश्रा मुझे मेरी मां से बहुत कुछ मिला, लेकिन एक ऐसी चीज भी मिल गई, जिसे मैं कभी नहीं
सब ठाठ धरा रह जायेगा…
तू आया है, तो जायेगा हम रोटी–भात खायेगा। तू लोहा–सोना खोदेगा हम खेत में नागर जोतेगा। तू हीरा-पन्ना बेचेगा हम
काश! कोई सुन ले दिव्यांश की चीखें
धीरेंद्र पुंडीर ये दिव्यांश की तस्वीर है। एक परिवार को छोड़ दें तो बाकि सब के लिए एक तस्वीर। कुछ देर
बांदा के गांव में जिंदा है ‘ठाकुर का कुआं’
आशीष सागर दीक्षित ”आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको जिस गली
महामना! इन्हें माफ़ कर देना…
भूपेंद्र सिंह कोई भी देश अपने शासक से महान नहीं बनता है, वह महान बनता है अपने लोगों से, अपने