शंभु झा
दोस्तो,
समाज में सार्थक और सकारात्मक बदलाव के लिए वैल्यू एजुकेशन एक बुनियादी जरूरत है। लेकिन हमने विकास का जो मॉडल अपनाया है, उसमें समाज के बहुत बड़े भाग को अच्छी तालीम से वंचित होना पड़ रहा है (या कहा जाए, उन्हें वंचित रखा जा रहा है)। देश के लाखों बच्चे स्कूल का मुंह नहीं देख पाते हैं या फिर प्राइमरी स्कूल में ही पढ़ाई छोड़ कर भूख की भट्टी में अपना बचपन झोंकने को मजबूर हो जाते हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है ? जवाब है- हम सब। आखिर ये सिस्टम हमने ही तो बनाया और अपनाया है। और सबसे दिलचस्प बात ये है कि हम दिन रात इस बात के जुगाड़ में लगे रहते हैं कि हमारे बच्चे इस सिस्टम के शिकार नहीं बनें। हमारी जद्दोजहद इस बात के लिए होती है कि हमारे बच्चे अच्छी से अच्छी शिक्षा हासिल करें और पढ़-लिख कर तथाकथित ‘बड़े आदमी’ बनें। ऐसा ‘बड़ा आदमी’, जिसके आगे बाकी लोग छोटे और बौने नज़र आएं। ‘छोटे लोग’ कौन होंगे, वो जिन्हें बचपन में क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिली इसलिए वो कभी अपना करियर गढ़ ही नहीं पाए।
क्या किया जाए ?
कैसे किया जाए ?
विशेष
शंभु झा। महानगरीय पत्रकारिता में डेढ़ दशक भर का वक़्त गुजारने के बाद भी शंभु झा का मन गांव की छांव में सुकून पाता है। दिल्ली के हिंदू कॉलेज के पूर्व छात्र। आजतक, न्यूज 24 और इंडिया टीवी के साथ लंबी पारी। फिलहाल न्यूज़ नेशन में डिप्टी एडिटर के पद पर कार्यरत।