देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले ऐसे कई बलिदानी हैं जो आज भी गुमनामी की जंजीरों में कैद हैं। अवाम के सिनेमा ने यह तय किया है कि कस्बों और गांवों में गुम हो गए तमाम क्रांति योद्धा और पुरोधाओं की कहानियां दुनिया के फलक पर दस्तावेजों के साथ लायी जाएगी। यह काम 2006 में शाह आलम और उनके हमख्याल कुछ चंद साथियों के जरिए शुरू किया गया था। इस सफर ने पूरे दस बरस पूरे कर लिए हैं। इस कड़ी में 16 से 19 दिसंबर यानी पूरे चार दिन अयोध्या में क्रांति के पुरेधाओं को अवाम का सिनेमा याद करने जा रहा है।
10वें अयोध्या फिल्म महोत्सव के संयोजक व सूत्रधार शाह आलम का कहना है कि क्रांतिकारियों के लिए वर्ष 2016 एक ऐतिहासिक वर्ष है। गुप्त क्रांतिकारियों की प्रमुख संस्था मातृवेदी का शताब्दी वर्ष चल रहा है। इस संस्था में कई ऐसे नायक थे, जिनकी कहानियां नई पीढ़ी के लिए विरासत हैं। इस संस्था के नायकों के परिवारों के साथ शाह आलम और साथियों ने संपर्क किया तो पता चला कि इन लोगों ने क्रांतिकारियों के कई ऐतिहासिक दस्तावेजों को जीवित रखा है। इस महोत्सव में ऐसे परिवारों को सम्मानित किया जाएगा, जो शहीदों की विरासत को संभाले हुए हैं। यह सब क्रांतिवीरों के लिए बहुत ही कम है। फिर भी हमारा सार्वजनिक दायित्व है कि हम उनके विचारों और बलिदान को जाया न जाने दें।
चार दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 16 दिसंबर को गोंडा जेल से होगी। यहां शहीद राजेंद्र लाहिड़ी को याद करते हुए एक क्रांति मार्च भी किया जाएगा। 17 दिसंबर को अयोध्या में विधिवत उद्घाटन के साथ व्याख्यान सत्र, कार्टून व फिल्म प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। इस सत्र में देशभर से कई ख्यात इतिहासकार, बुद्धिजीवी, फिल्म निर्माता, कवि और मीडिया दिग्गज शिरकत कर रहे हैं। वहीं 18 दिसंबर को भी दस्तावेजी सिनेमा, फिल्म, समाज और क्रांति पुराधाओं पर चर्चा-परिचर्चा होगी। इस बीच लोकगायकों के जरिए कबीर पर केंद्रित संगीतमयी प्रस्तुति भी दी जाएगी। वहीं कार्यक्रम का समापन 19 दिसंबर को शहीद अशफाक को फैजाबाद जेल में याद कर किया जाएगा। शहीद अशफाक पर चलाए गए मुकदमे और उनकी जेल डायरी जैसे कई ऐतिहासिक दस्तावेजों का प्रदर्शन भी अवाम के लिए किया जाएगा।
इस चार दिवसीय कार्यक्रम में दिल्ली से प्रोफेसर व इतिहासकार सलिल मिश्रा, मशहूर कवि आलोकधन्वा, इंडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत, वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा, फिल्म निर्माता जैगम इमाम, फिल्म समीक्षक रवि बुले, जगजीवन राम संसदीय शोध संस्थान, पटना के निदेशक श्रीकांत, सीएसआईआर, रूड़की के उपनिदेशक व वैज्ञानिक यादवेंद्र पांडेय शामिल हो रहे हैं। दिल्ली के कई मीडिया दिग्गज और शहीद परिवारों की मौजूदगी से माहौल में एक सरगर्मी रहेगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा कार्यक्रम में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कई बुद्धिजीवी शिरकत करेंगे।